संपादक के नाम पत्र। संपादक के नाम पत्र उदाहरण तथा अति लघु उत्तरीय प्रश्न।

Class : 11th & 12th

Book Name : अभिव्यक्ति और माध्यम

संपादक के नाम पत्र

1. सबके लिए
19 जनवरी का संपादकीय ‘सिर पर एक छत’ पढ़ा। असल में, आर्थिक उदारीकरण के बाद हमारे यहाँ रीयल एस्टेट क्षेत्र में जो भारी उछाल आया, वह मध्य और उच्च-मध्य वर्ग तक सीमित था। बेशक यह फैसला सरकार की आर्थिक सेहत के अनुकूल नहीं है, आगे ब्याज-दर बढ़ने की स्थिति में उस पर सब्सिडी का बाझ और भी बढ़ सकता है। लेकिन आर्थिक तरक्की कर रहे देश की छवि के लिए ठीक नहीं कि सभी नागरिकों के सिर पर छत न हो।

2. पहचान का मसला
संपादकीय ‘नेपाल का संविधान’ पढ़ा। नेपाल का समाज बेहद ध्रुवीकृत है, और पहचान का मसला बड़ा मुद्दा है। ऐसे में प्रस्तावित राज्यों का नामकरण और सीमांकन उतना आसान भी नहीं है, जितना महसूस हो रहा है। ठीक है कि संघीय आयोग प्रस्तावित आठ राज्यों के नाम और उनकी सीमा-रेखा तय करेगा। लेकिन एक विभाजित समाज में ये काम भविष्य भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। फिर उस नजरिये को कैसे बदलेंगे, जो प्रस्तावित संघीय व्यवस्था को अपने-अपने हिसाब से देख रहा है?


3. व्यवस्था की विफलता
संपादकीय ‘कैरियर पर कुठाराघात’ (16 जून) पढ़ा। असल सवाल परीक्षा की पवित्रता और विश्वसनीयता है। अनुचित तरीकों से लाभान्वित होने वाला हर परीक्षार्थी किसी-न-किसी वास्तविक हकदार का हक मारेगा, जो परीक्षा-व्यवस्था की विफलता भी है और एक गंभीर अपराध भी। इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि खुद परीक्षार्थियों ने भी परीक्षा रद्द करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर कीं। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई के तकों को दरकिनार करते हुए फिर से परीक्षा आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।

4. भविष्य का सवाल
यह लाखों छात्रों के भविष्य का सवाल है। इसलिए पेपर लीक होने के पीछे जो भी लोग हों, उनको ऐसी सजा दी जानी चाहिए, जिससे भविष्य में कोई ऐसा करने की सोचे भी नहीं। पर हमारे देश में अकसर यह नहीं हो पाता, इसलिए बार-बार इस तरह की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। यूपीएससी में इस तरह के मामले इसलिए सामने नहीं आते क्योंकि यूपीएससी में किसी को सदस्य बनाने से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि पिछली सर्विस के दौरान उस व्यक्ति की साख कैसी रही है। वह कितना न्यायप्रिय, ईमानदार और सक्षम अधिकारी रहा है। परीक्षा से जुड़े दूसरे आयोगों में भी ऐसी ही व्यवस्था होनी चाहिए। -विवेक तन्जा,%पालक

5. अंतिम पत्र
आप सरकार के विज्ञापन पर भड़कीं बीजेपी-कांग्रेस, कोर्ट जाने की धमकी दी : खबर। सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, उनके अच्छे काम तो बस विज्ञापन में ही दिखाई देते हैं

अति लघु उत्तरीय प्रश्न :


 प्रश्न 1: संपादकीय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – संपादकीय समाचार-पत्र का वह महत्त्वपूर्ण अंश होता है, जिसे संपादक, सहायक संपादक तथा संपादक मंडल के सदस्य लिखते हैं।

प्रश्न 2: संपादकीय का समाचार-पत्र के लिए क्या महत्व है?
उत्तर – संपादकीय को किसी समाचार-पत्र की आवाज माना जाता है। यह एक निश्चित पृष्ठ पर छपता है। यह अंश समाचारपत्र को पठनीय तथा अविस्मरणीय बनाता है। संपादकीय से ही समाचार-पत्र की अच्छाइयाँ एवं बुराइयाँ (गुणवत्ता) का निर्धारण किया जाता है। समाचार-पत्र के लिए इसकी महत्ता सर्वोपरि है।

प्रश्न 3: संपादकीय किसी नाम के साथ नहीं छापा जाता, क्यों?
अथवा
संपादकीय में लेखक का नाम क्यों नहीं होता?
उत्तर – संपादकीय किसी एक व्यक्ति या व्यक्ति-विशेष की राय, भाव या विचार नहीं होता अत: उसे किसी के नाम के साथ नहीं छापा जाता।

प्रश्न 4: संपादकीय पृष्ठ पर किन-किन सामग्रियों को स्थान दिया जाता है?
उत्तर – संपादकीय पृष्ठ पर संपादकीय, महत्वपूर्ण लेख, फ़ीचर, सूक्तियाँ, संपादक के नाम पत्र आदि को स्थान दिया जाता है।

प्रश्न 5: संपादकीय का उददेश्य क्या है?
उत्तर - किसी घटना, समस्या अथवा विशिष्ट मुद्दे पर संपादक मंडल की राय (समाचार-पत्र के विचार) जनता तक पहुंचाना संपादकीय का उद्देश्य होता है।

प्रश्न 6:संपादकीय लेखन के चार कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – संपादकीय लेखन के चार कार्य हैं-समाचारों का विश्लेषण, पृष्ठभूमि की तैयारी, भविष्यवाणी करना तथा नैतिक निर्णय देना।

प्रश्न 7: स्तंभ-लेखन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – स्तंभ-लेखन विचारपरक लेखन का एक महत्वपूर्ण रूप है। कुछ लेखक अपने खास वैचारिक रुझान के लिए जाने जाते हैं, जिनकी लोकप्रियता देखते हुए अखबार उन्हें एक नियमित स्तंभ लिखने का जिम्मा दे देते हैं। इसमें विषय चुनने और विचार अभिव्यक्ति की छूट लेखक को होती है।

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