Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Notes in Hindi ~ Only Study Gyan

Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Notes in Hindi ~ Only Study Gyan

Class : 12th

Subject : Economics (अर्थशास्त्र)

Book : Macro Economics (समष्टि अर्थशास्त्र)

Chapter : 5. सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

Type : Notes 

बजट :-

यह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित व्ययों एवं अनुमानित प्राप्तियों का वार्षिक वित्तीय विवरण है ।

बजट के मुख्य उद्देश्य:-

( i ) संसाधनों का पुनः आवंटन 
( ii ) आय व धन का पुनः वितरण 
( iii ) आर्थिक स्थिरता 
( iv ) सार्वजनिक उद्यमों का प्रबन्ध
( v ) आर्थिक विकास 
( vi ) निर्धनता एवं बेरोजगारी उन्मूलन 

बजट के घटक:-  

( a ) राजस्व बजट 
( b ) पूँजीगत बजट 
राजस्व बजट सरकार की राजस्व प्राप्तियों तथा व्ययों का विवरण है ।

बजट के प्रकार :

बजट को दो भागों में बाँटा जाता है -
  1. बजट प्राप्तियाँ
  2. बजट व्यय 

1 . बजट प्राप्तियाँ : इससे तात्पर्य एक वित्तीय वर्ष की अवधि में सरकार की सभी स्रोतों से अनुमानित मौद्रिक प्राप्तियों से है । 
👉बजट प्राप्तियों को निम्न दो उप - वर्गों में बाँटा जा सकता है - 
  1. राजस्व प्राप्तियाँ।
  2. पूँजीगत प्राप्तियाँ ।
राजस्व प्राप्तियाँ :-
1 . ये सरकार की परिसम्पत्तियों को कम नहीं करती हैं । 
2 . ये सरकार के दायित्वों में वृद्धि नहीं करती है । 
3 . ये आवर्ती प्रकृति की होती है । 

पुँजीगत प्राप्तियाँ :- 
( i ) ये सरकार की परिसम्पत्तियों को कम कर देती है । 
( ii ) ये सरकार के दायित्वों में वृद्धि करती है । 
( iii ) ये आवर्ती प्रकृति की नहीं होती ।


2 . बजट व्यय :-
इससे तात्पर्य एक वित्तीय वर्ष की अवधि में सरकार द्वारा विभिन्न मदों के ऊपर की जाने वाली आनुमानित व्यय से है । 

👉बजट व्यय को निम्न दो मुख्य उप वर्गों में बाँटा जाता है , राजस्व व्यय तथा पूँजीगत व्यय ।

राजस्व व्यय :- 
( i ) ये सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि नहीं करते हैं । 
( ii ) ये सरकार के दायित्वों में कोई कमी नहीं करते हैं । जैसे - ब्याज का भुगतान , आर्थिक सहायता , कानून व्यवस्था बनाये रखने पर व्यय आदि । 
( iii ) ये आवर्ती प्रकृति के होते हैं । 

पूँजीगत व्यय:- 
( i ) ये सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि करते हैं । 
( ii ) सरकार के दायित्वों में कमी करते हैं । जैसे विद्यालय भवनों का निर्माण , पुराने ऋण का भुगतान , वित्तीय परिसम्पत्तियों का क्रय इत्यादि । 
( iii ) ये आवर्ती प्रकृति के नहीं होते ।

🔘बजट : 

बजट सरकार के राजस्व नीति का एक व्यवहारिक रूप है जो प्रांत से शब्द Budgettee से बना है जिसका अर्थ चमड़े का एक छोटा सा इला होता है फ्रांस में इस शब्द का प्रयोग 1803 ईसवी में हुआ था जहां बजट का सामान्य अर्थ वार्षिक वित्तीय विवरण से लगाया जाता है।
अनुच्छेद 112 में केंद्र सरकार के लिए और अनुच्छेद 202 में राज्य सरकार के लिए बजट की व्याख्या की गई है। बजट सरकार की आय एवं व्यय का विवरण प्रपत्र है। जब वित्त मंत्री द्वारा संसद में अपने प्रस्ताव को रखा गया तो उसे बजट खोलना कहा गया। भारत में बजट को संसद के सम्मुख प्रस्तुत होने के पूर्व बजट प्रस्ताव की जानकारी केवल वित्त मंत्री को होती है। 1773 ईस्वी में इंग्लैंड में इस शब्द का प्रयोग जादू के पिटारे के अर्थ में किया गया था।
बजट भविष्य के लिए एक वित्तीय और विस्तृत योजना है जो प्रायः 1 वर्ष के लिए बनाया जाता है। भारत में सर्वप्रथम बजट पेश 18 फरवरी 1807 में जेम्स विल्सन द्वारा लॉर्ड कैनिंग के शासनकाल में प्रस्तुत किया गया था। इसलिए जेम्स विल्सन को भारतीय बजट का प्रणेता कहा जाता है परंतु स्वतंत्र भारत में 26 नवंबर 1947 ईस्वी को RK शनिमुखम सेट्ठी के द्वारा बजट प्रस्तुत किया गया और इसके बाद 1950 ईस्वी में जॉन मथाई ने भारत में बजट पेश किया था तथा वर्तमान वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा सन 2021 ईस्वी में बजट प्रस्तुत किया गया।
भारतीय बजट की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च 1967 ईस्वी में अपनाया गया इससे पूर्व इसकी अवधि 1 मई से 30 अप्रैल था। बजट तैयार करने की प्रक्रिया 6 से 7 महीने पूर्व की जाती है। भारत में बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस में प्रस्तुत किया जाता था परंतु 2017 ईस्वी से यह बजट फरवरी के पहले दिन से प्रस्तुत किया जाने लगा।

Budgettee
⬇️ चमड़े के एक छोटा थैला।
⬇️ फ्रांस - 1803
बजट ➡️ वार्षिक वित्तीय विवरण
         ➡️ आय एवं व्यय
भारतीय बजट प्रणेता ➡️ 18 Feb 1860
⬇️ James klilson ( लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल )


राजस्व घाटा :- 

जब सरकार के कुल राजस्व व्यय उसकी कुल राजस्व प्राप्तियों से अधिक हो । 

राजस्व घाटे के प्रभाव :- 
( i ) यह सरकार की भावी देनदारियों में वृद्धि करता है । 
( ii ) यह सरकार के अनावश्यक व्ययों की जानकारी देता है । 
( iii ) यह ऋणों के बोझ को बढ़ाता है ।

राजकोषीय घाटा :- 
कुल व्यय की उधार रहित कुल प्राप्तियों पर अधिकता । 
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - उधार के बिना कुल बजट प्राप्तियाँ

राजकोषीय घाटे के प्रभाव :-
( i ) यह मुद्रा स्फीति को बढ़ाता है ।
( ii ) देश ऋण - जाल में फंस जाता है । 
( ii ) यह देश के भावी विकास तथा प्रगति को कम करता है । 

प्राथमिक घाटा :- 
राजकोषीय घाटे में से ब्याज अदायगियों को घटाने से प्राथमिक घाटे का पता चलता है । 

प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा - ब्याज अदायगियाँ 

प्राथमिक घाटे के प्रभाव :-
1 . इससे पता चलता है कि भूतपूर्व नीतियों का भावी पीढ़ी पर क्या भार पड़ेगा । 
2 . शून्य या प्राथमिक घाटे से अभिप्राय है कि सरकार पुराने ऋणों का ब्याज चुकाने के लिए उधार लेने को मजबूर है । 
3 . यह ब्याज अदायगियों रहित राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार की उधार जरूरतों को दर्शाता है ।

कर (Tax) : 

👉जनता के द्वारा सरकार को दिया जाने वाला राशि कर कहलाता है। जो अनिवार्य होता है। यह जनता द्वारा दी जाती है तथा सरकार द्वारा वसूला जाता है। यह कल्याण के दृष्टिकोण से लिया जाता है।

कर के गुण : 

  1. यह लोचपूर्ण होनी चाहिए।
  2. न्यायोचित होनी चाहिए।
  3. सुविधाजनक होनी चाहिए।
  4. परिवर्तनशील होनी चाहिए।
  5. समाज पर करो का भार न्यूनतम होनी चाहिए।
  6. ईमानदार तथा कुशल कर प्रशासन होनी चाहिए।
  7. मितव्ययी होनी चाहिए।
  8. एक कर प्रणाली की अपेक्षा बहुकर प्रणाली होनी चाहिए।

कर के प्रकार :

  1. प्रत्यक्ष कर
  2. अप्रत्यक्ष कर

प्रत्यक्ष कर :-

प्रत्यक्ष कर वह कर है जो उसी व्यक्ति द्वारा दिया जाता है जिस पर वह कानूनी रूप में लगाया जाता है । इस कर का भार अन्य व्यक्तियों पर नहीं टाला जा सकता है । 
उदाहरण - आय कर , सम्पत्ति कर । 



अप्रत्यक्ष कर :-

अप्रत्यक्ष कर वे कर हैं जो लगाए तो किसी एक व्यक्ति पर । जाते हैं किंतु इनका आंशिक या पूर्ण रूप से भुगतान किसी अन्य व्यक्ति को करना पड़ता है । इस कर का भार अन्य व्यक्तियों पर टाला जा सकता है ।
 उदाहरण - बिक्री कर , मूल्य वृद्धि कर ( VAT ) , GST

🔘प्रत्यक्ष कर : 

➡️प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत केंद्र सरकार के द्वारा वसूला जाने वाला कर -
  1. आय कर
  2. निगम कर
  3. व्यय कर
  4. संपत्ति कर
  5. पूंजी लाभ कर
  6. लाभांश कर
  7. ब्याज कर
  8. उपहार कर
  9. लाभांश वितरण कर
  10. प्रतिभूति व्यापार कर
  11. एस्टेट कर (Estate Tax)

➡️ राज्य सरकार के द्वारा वसूला जाने वाला प्रत्यक्ष कर -

  1. भूराजस्व कर
  2. कृषि आय पर कर
  3. होटल प्राप्तियो पर कर
  4. व्यवसाय कर
  5. अचल संपत्तियों पर कर
  6. रोजगारो पर कर
  7. पथ कर

🔘अप्रत्यक्ष कर : 

➡️केंद्र  सरकार के द्वारा वसूला जाने वाला अप्रत्यक्ष कर -
  1. सीमा शुल्क (Custom Duty)
  2. केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Union Excise Duty)
  3. सेवा कर (Service Tax)
  4. केंद्रीय बिक्री कर
  5. केंद्रीय व्यापार कर

➡️ राज्य सरकार के द्वारा वसूला जाने वाला अप्रत्यक्ष कर -
  1. व्यापार कर या बिक्री कर
  2. स्टांप एवं पंजीयन शुल्क
  3. राज्य उत्पाद शुल्क
  4. डीजल या पेट्रोल पर बिक्री शुल्क
  5. वाहनों पर कर
  6. परिवहन कर
  7. प्रवेश कर ( चुंगीकर )
  8. विज्ञापन कर
  9. बिजली कर (विद्युत) या शुल्क
  10. शिक्षा शुल्क
  11. सट्टेबाजी पर कर

गैर कर : 

गैर कर के अंतर्गत शामिल कर -
➡️केंद्रीय गैर कर आय -
  1. सार्वजनिक प्रतिष्ठानों से प्राप्त निवल अंशदान (रेलवे, डाक, RBI का लाभ, वन, संचार सेवाएं)
  2. ब्याज प्राप्तियां (राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्रों से, रेलवे, दूरसंचार)
  3. राजकोषीय सेवाएं (करेंसी, सिक्के)
  4. सामान्य सेवाएं
  5. सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाएं
  6. आर्थिक सेवाएं
  7. बाह्य सहायताएं

➡️ राज्यीय गैर कर -
  1. विभागीय वाणिज्यिक उपक्रमों से प्राप्त निवल अंशदान (वन, परिवहन सेवाएं, विद्युत परियोजना, उद्योग, खनन, सिंचाई परियोजनाएं, बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं)
  2. सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त लाभांश या आय
  3. दिए गए उधारो से प्राप्त ब्याज
  4. सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाओं से प्राप्त आय
  5. आर्थिक सेवाओं से प्राप्त आय

🔘VAT (Value Added Tex) :

👉भारत में VAT सिद्धांत पर आधारित एक व्यापक GST लाने का सुझाव सर्वप्रथम अप्रत्यक्ष करो पर केलकर कार्यबल ने 2003 में दिया था।
👉इस विधि का प्रतिपादन जॉर्ज विलहेम वान साइमंस नमक जर्मन अर्थशास्त्री ने 1918 ई. किया था। 
👉इसे सर्वप्रथम 1954 ईस्वी में फ्रांस में अपनाया गया। परंतु भारत में 2005 ईस्वी में और State VAT 2003 ईस्वी में सबसे पहले हरियाणा सरकार द्वारा लगाया गया।

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