Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Notes in Hindi ~ Only Study Gyan

Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Notes in Hindi ~ Only Study Gyan

Class : 12th

Subject : Economics (अर्थशास्त्र)

Book : Macro Economics (समष्टि अर्थशास्त्र)

Chapter : 1. समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय

Type : Notes

समष्टि अर्थशास्त्र 

  • ग्रीक शब्द : मेक्रो , 
  • अर्थ : बड़ा

परिभाषा : 

आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा जिसमें संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
जैसे : राष्ट्रीय आय , कुल उत्पादन , कुल निवेश , कुल बचत , समग्र मांग समग्र , समग्र पूर्ति , कुल रोजगार , सामान्य कीमत स्तर आदि । 

समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र / विषय वस्तु :

A. समष्टिगत आर्थिक सिद्धांत 
• आर्थिक वृद्धि एवं विकास के सिद्धांत राष्ट्रीय आय का निर्धारण 
• मुद्रा सिद्धांत 
• सामान्य कीमत स्तर 
• रोजगार का निर्धारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार 
• भुगतान शेष


B. समष्टिगत आर्थिक नीतियां 
• राजकोषीय नीति 
• मौद्रिक नीति

समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व ( Importance ) :

• अर्थव्यवस्था के कार्यकरण को समझना 
• आर्थिक नीति निर्धारण में उपयोगी 
• बेरोजगारी का अध्ययन राष्ट्रीय आय का मापन 
• व्यापार चक्र के अध्ययन में सहायक 
• व्यक्तिगत इकाइयों के व्यवहार को समझने में उपयोगी 
• मौद्रिक समस्याओं का अध्ययन : मुद्रास्फीति , मुद्रा अवस्फीति .

आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक : एडम स्मिथ 
पुस्तक : An Enquiry Into the Nature and Causes of the Welth of Nation ( 1776 )
 • स्कॉटलैंड के निवासी एवं ग्लासगो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर 
• उस समय अर्थशास्त्र को राजनीतिक अर्थशास्त्र के रूप में जाना जाता था 
• स्वतंत्र बाजार अर्थव्यवस्था पर जोर
• व्यक्ति स्वयं के निजी हित को ध्यान में रखकर निर्णय , न कि मानवता के लिए अतः संपूर्ण देश में धन या कल्याण के बारे में अलग से ध्यान देने की आवश्यकता नहीं 

समष्टि अर्थशास्त्र की आवश्यकता :

1. कुछ मामलों में बाजार ( मांग एवं पूर्ति ) विद्यमान नहीं 
2. कुछ मामलों में बाजार विद्यमान लेकिन मांग एवं पूर्ति की शक्तियां उत्पादन करने में असमर्थ 
3. कुछ मामलों में संपूर्ण समाज को निर्णय लेना पड़ता है जैसे : रोजगार , प्रशासन , प्रतिरक्षा , स्वास्थ्य , शिक्षा आदि । 

भारत के संदर्भ में -
• बेरोजगारी को दूर करने 
• सभी नागरिकों को शिक्षा एवं प्राथमिक चिकित्सा 
• देश को प्रतिरक्षा प्रदान करने हेतु 

आर्थिक एजेंट अथवा आर्थिक इकाई :

वह व्यक्ति अथवा संस्थाएं जो आर्थिक निर्णय लेते हैं ।
 ( उपभोक्ता , उत्पादक , सरकार , अन्य कोई संस्थाएं जैसे बैंक )

समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव :

• जॉन मेनार्ड कींस ( ब्रिटिश अर्थशास्त्री ) 
• पुस्तक : द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट , इंटरेस्ट एंड मनी ( 1936 )
 • कीस के पूर्व के अर्थशास्त्री ( क्लासिकी विचारधारा ) : अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार काम करने के इच्छुक सभी श्रमिकों को रोजगार , पूर्ण क्षमता से काम
 • 1929 की विश्वव्यापी महामंदी 
 • यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के देशों में उत्पादन तथा रोजगार के स्तर में भारी गिरावट , वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग में कमी , बेरोजगारी में वृद्धि 
 • संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 से 33 तक बेरोजगारी की दर 3 % से बढ़कर 25 % तथा इसी अवधि में कुल उत्पादन में लगभग 33 % की गिरावट।

बेरोजगारी की दर : 

(काम करने के इच्छुक लोगों की संख्या लेकिन काम नहीं करते ) ÷ ( काम करने के इच्छुक लोगों की संख्या और काम करते हैं )

समष्टि अर्थशास्त्र के निर्णयकर्ता ( आर्थिक भूमिका अदा करने वाले ) : 
• सरकार ( राज्य ) एवं वैधानिक निकाय ( रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया , भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड , सेबी ) 

समष्टि अर्थशास्त्र निर्णयकर्ता क्या करने का प्रयास करते हैं ?
 संपूर्ण देश अथवा जनता के कल्याण के लिए कार्य

अल्प विकसित देश ( कृषि ) 

• श्रम परिवार के सदस्यों द्वारा 
• उत्पादन का अधिकांश भाग परिवार द्वारा उपभोग 
• भूमि का स्वामित्व नहीं 
• किसानों के पास पूंजी स्टॉक में वृद्धि नहीं

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalist Economy) : 

➡️पूंजीवादी देश ऐसे देश जिसमें आर्थिक क्रियाकलाप पूंजीवादी उद्यमियों ( निजी व्यक्तियों ) द्वारा किए जाते हैं । ये उद्यम को चलाने के लिए स्वयं की पूंजी का प्रयोग करते हैं अथवा बाजार से पूंजी उधार लेते हैं ।
➡️ उत्पादन के संचालन के लिए प्राकृतिक संसाधनों जैसे कच्चा माल , स्थाई पूंजी ( भूमि ) , मानव श्रम का प्रयोग करते हैं । उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादन के तीन साधनों भूमि , पूंजी , श्रम का प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है । 
➡️कुल उत्पादन को बाजार में बेचने से प्राप्त आय में से भूमि को उसकी सेवाओं के बदले किराये का भुगतान किया जाता है , पूंजी को उसकी सेवाओं के बदले व्याज का भुगतान किया जाता है तथा श्रम को उसकी सेवाओं के बदले मजदूरी प्रदान की जाती है । 
➡️शेष बची हुई आय जो उद्यमी की आय होती हैं उसे लाभ कहा जाता है । लाभ का प्रयोग भविष्य में पूंजीगत वस्तुओं जैसे नई मशीन खरीदने अथवा नया कारखाना स्थापित करने के लिए प्रयोग किया जाता है । उत्पादन क्षमता में वृद्धि लाने के लिए किया गया व्यय निवेश व्यय कहलाता है।

ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें आर्थिक क्रियाकलापों में निम्न विशेषताएं पाई जाती है :

 1. उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व पाया जाता है 
2. उत्पादन का मुख्य उद्देश्य बाजार में बेचकर लाभ कमाना
 3. श्रमिक की सेवाओं का क्रय विक्रय एक निश्चित मजदूरी दर पर 

अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रक / संरचना : 

अनेक विकासशील देशों में उत्पादन की इकाइयां विद्यमान है । वह पूंजीवादी सिद्धांतों के अनुरूप हैं । किसी भी अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का संचालन निम्न 4 क्षेत्रों में होता है

1. पारिवारिक अथवा घरेलू क्षेत्र : (Household Sector )
• परिवार से आशय व्यक्तिगत उपभोक्ता अथवा व्यक्तियों के समूह से होता है जो उपभोग संबंधी निर्णय संयुक्त रूप से लेते हैं । 
• परिवार द्वारा बचते की जाती है एवं सरकार को कर अदा किया जाता है।
• उत्पादन के साधनों के मालिक : आर्थिक क्रियाओं में योगदान के बदले भुगतान की प्राप्ति ( भूमि को किराया पूंजी को ब्याज , श्रम को मजदूरी , साहसी को लाभ )


2. उत्पादक अथवा व्यावसायिक फर्म (Firm ):
• उत्पादन की इकाइयों को फार्म कहा जाता है 
• फर्म के कारोबार का संचालन उद्यमियों द्वारा 
• उद्यमी द्वारा बाजार से साधनों का क्रय करके उद्यम का संचालन 
• उद्यमी द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करके लाभ कमाया जाता
 • उद्यमी जोखिम एवं अनिश्चितता को सहन करता 

3. सरकार ( राज्य ) ( Government ):
• कानून बनाना उसे लागू करना और न्याय दिलाना 
• कर लगाना एवं आधारभूत संरचना का विकास 
• उत्पादन कार्य भी किया जाता है 
• स्कूल कॉलेज एवं स्वास्थ्य सुविधाएं

4. बाह्य क्षेत्र / विदेशी क्षेत्र ( The External Sector ):  
• निर्यात : घरेलू वस्तु का शेष विश्व को विक्रय 
• आयात : शेष विश्व से वस्तुओं को खरीदना 
• विदेशी पूंजी का प्रवाह तथा विदेशों में पूंजी का निर्यात

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