12th Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाजार Notes in Hindi

12th Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाजार Notes in Hindi

Class : 12th
Subject : Economics (अर्थशास्त्र)
Book : Micro Economics (व्यष्टि अर्थशास्त्र)
Chapter : 6 प्रतिस्पर्धारहित बाजार
Type : Notes 

एकाधिकार - 

एकाधिकार बाजार का वह स्वरूप है जिसमे किसी वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है तथा उस वस्तु का कोई निकटतम स्थानापन्न नहीं होता है | 

जैसे - भारतीय रेलवे पर भारत सरकार का एकाधिकार है | 

एकाधिकार की विशेषताएँ 

( i ) एक विक्रेता और क्रेताओ को अधिक संख्या 

( ii ) नई फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध 

( iii ) निकटम स्थानापन्न का अभाव 

( iv ) कीमत पर पूर्ण नियंत्रण 

( v ) कीमत विभेद 

एक एकाधिकारी फर्म कीमत निर्धारक होता है  :

( i ) एक विक्रेता तथा क्रेताओं की अधिक संख्या - एकाधिकारी बाजार में वस्तु का केवल एक ही विक्रेता होता है | अतः बाजार में किसी भी तरह की प्रतियोगिता नहीं होती ।

( ii ) निकटतम स्थानापन्न का अभाव

एकाधिकारी वस्तु का कोई निकटतम स्थानापन्न नहीं होता | इसलिए ऐसा कोई डर नहीं होता कि क्रेता , किसी भी सीमा तक , एक वस्तु की खरीद से दूसरी वस्तु की ओर सरकेंगे | 

( iii ) नई फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध - 

नई फर्मो के प्रवेश पर क़ानूनी , तकनीकि अथवा प्राकृतिक प्रबन्ध होते है । इसलिए एकाधिकारी द्वारा निर्धारित कीमत का कोई मुकाबला नहीं होता है । 

🔵एकाधिकार बाजार में उद्योग या विक्रेता को अल्पकाल में तीन स्थितियां प्राप्त होती है :

  1. अति सामान्य लाभ (Super Normal Profit)➡️ AC < AR
  2. सामान्य लाभ (Normal Profit)➡️ AC = AR
  3. हानि (Loss) ➡️ AC > AR

1). अति सामान्य लाभ : 

MC = MR :- जब सीमांत लागत और सीमांत आगम बराबर होते हैं तो फर्म / उद्योग का संतुलन मात्र प्राप्त होती हैं।

सीमांत लागत वक्र सीमांत आगम वक्र को नीचे से काटता हो।

AC < AR

2). सामान्य लाभ :

MR = MC :- जब सीमांत लागत और सीमांत आगम बराबर होते हैं तो फर्म / उद्योग का संतुलन मात्र प्राप्त होती हैं।

सीमांत लागत वक्र सीमांत आगम वक्र को नीचे से काटता हो।

AC = AR

3). हानि :

MC = MR

सीमांत लागत वक्र सीमांत आगम वक्र को नीचे से काटता हो।

AC > AR

जब औसत लागत वक्र औसत आगम से ऊपर यानी बड़ा होता है तो उद्योग को हानि होता है।

एकाधिकारी प्रतियोगिता - 

एकाधिकारी प्रतियोगिता बाजार का वह स्वरूप है जिसमे किसी वस्तु के अनेक विक्रेता होते है लेकिन उनके द्वारा बेची जाने वाली वस्तुएं एक दुसरे से भिन्न होती है | 

अतः वस्तु विभेद पाया जाता है | 

जैसे - फर्मे टूथपेस्ट कोलगेट , पेप्सोडेंट , पतंजलि आदि के नाम से बेचती है । 

एकाधिकारी प्रतियोगिता की विशेषताएँ - 

( i ) क्रेता तथा विक्रेताओ की अधिक संख्या 

( ii ) वस्तु विभेद 

( iii ) बिक्री लागते 

( iv ) नीचे की ओर ढलान वाला माँग वक्र 

( v ) गैर - कीमत प्रतियोगिता 

( vi ) स्वतंत्र प्रवेश न

( vii ) पूर्ण गतिशीलता का अभाव 

( viii ) पूर्ण ज्ञान का अभाव 

अल्पाधिकार - 

अल्पाधिकार बाजार का वह स्वरूप है जिसमे बड़ी फर्मो की छोटी संख्या और बड़ी संख्या में क्रेता होते है | 

एक फर्म की कीमत तथा उत्पादन संबधी निर्णय , बाजार में विरोधी फर्मो की कीमत तथा उत्पादन संबंधी निर्णयों पर काफी प्रभाव डालता है |

 इसलिए प्रतियोगी फर्मो के बीच अंतनिर्भरता की उच्च मात्रा पाई जाती है ।

अल्पाधिकार की विशेषताएं :

( i ) बड़ी फर्मो की छोटी संख्या 

( ii ) अंतनिर्भरता की ऊंची मात्रा 

( iii ) फार्म के माँग वक्र के निर्धारण में कठिनाई 

( iv ) व्यापार- गुटों का निर्माण 

( v ) प्रवेश की बाधाएँ 

( vi ) गैर- कीमत प्रतियोगिता


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