12th Economics Chapter 1 परिचय : व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र Notes in Hindi
अर्थशास्त्र ( ECONOMICS ) :
अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो विभिन्न उद्देश्यों और वैकल्पिक उपयोगों वाले दुर्लभ संसाधनों के सम्बन्ध में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है ।
➡️अर्थशास्त्र का अंग्रेजी 'Economics' ग्रीक भाषा के Oikos और Nemein से मिलकर बना है, जिसका अर्थ House Management (गृह प्रबंधन) होता है।
➡️अर्थशास्त्र का जनक प्रो. एडम स्मिथ (Adam Smith) को कहा जाता है, जिन्होंने 1776 ई. में Welth of Nation ( An Inquiry in to the Nature and Causes of the Welth of Nation ) नामक पुस्तक का प्रकाशन किए।
➡️प्रो. एडम स्मिथ - ' अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है '। अर्थात् धन संबंधी परिभाषा एडम स्मिथ द्वारा दिया गया।
➡️प्रो. अल्फ्रेड मार्शल - 1890 में Principal of Economics नामक पुस्तक लिखे तथा उन्होंने कल्याण संबंधी परिभाषा दिए। उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र मानव कल्याण से संबंधित अध्ययन करता है।
➡️प्रो. लियोनॉल रॉबिंस - 1932/1933 में An Essay on the Significance of Economic Science नामक पुस्तक लिखे तथा उन्होंने दुर्लभता संबंधी परिभाषा दिया।
➡️अर्थशास्त्र के आधुनिक परिभाषा प्रो. P.A. सेमयुलसन ने विकास और संवृद्धि के रूप में दिया।
➡️प्रो. रॉबिंस - इन्होंने दो महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दिया, (i).साधन सीमित, (ii).आवश्यकताएं अनंत।
जिसके कारण मनुष्य के सामने दुर्लभता या चयन की समस्या उत्पन्न होती है, जिसके समाधान के लिए उन्होंने वैकल्पिक उपयोग की धरना के बारे में बताया।
🔹 अर्थशास्त्र एक वह विज्ञान है जो वैकल्पिक उपयोगों वाले सीमित साधनों तथा उद्देश्य से संबंध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।
✔️ दिए गए अर्थशास्त्रियों के परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि अर्थशास्त्र आर्थिक और गैर आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करता है साथ-साथ अनुकूलतम संतुष्टि की व्याख्या भी करता है।
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर :
व्यष्टि अर्थशास्त्र
( i ) व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाई से सम्बंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन कराता है ।
( ii ) व्यष्टि अर्थशास्त्र एक उत्पादक तथा एक उपभोक्ता से सम्बंधित है।
( iii ) व्यष्टि अर्थशास्त्र में समष्टि चर स्थिर रहते है ।
समष्टि अर्थशास्त्र :
( i ) समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था से सम्बंधित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन कराता है |
( ii ) समष्टि अर्थशास्त्र पुरे अर्थव्यवस्था से सम्बंधित है |
( iii ) समष्टि अर्थशास्त्र में व्यष्टि चर स्थिर रहते है ।
आर्थिक समस्या -
( i ) संसाधन सीमित है ।
( ii ) मानवीय इच्छाएँ असीमित है ।
( iii ) संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग है ।
दुर्लभता -
➡️ दुर्लभता का अर्थ यह है कि संसाधन अपनी मांग से कम में उपलब्ध होता है।
जैसे- पेट्रोल की मांग उसकी उपलब्धता से अधिक है, इसलिए पेट्रोल दुर्लभ संसाधन है।
आर्थिक क्रिया :
➡️इसका संबंध आवश्यकता ओं की संतुष्टि के लिए सीमित साधनों के प्रयोग से है इसके अंतर्गत उत्पादन , उपभोग, निवेश और विनिमय सम्मिलित है जहां उत्पादन के प्रमुख साधन भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमी सम्मिलित होते हैं तथा विनिमय के अंतर्गत वस्तु कीमत निर्धारण और साधन कीमत निर्धारण का सम्मिलित रूप से अध्ययन किया जाता है जिसे कीमत निर्धारण की क्रिया कहते हैं।
अर्थव्यवस्था :
➡️वह प्रणाली जो एक उस विशेष क्षेत्र में व्याप्त है जिसमें उस क्षेत्र में होने वाले विभिन्न आर्थिक क्रियाओं की प्रवृत्ति एवं स्तर प्रकट होता है।
➤ अर्थव्यवस्था से यह स्पष्ट होता है कि संबंधित क्षेत्र के लोग किस प्रकार अपनी जीविका कमाते हैं।
➡️ अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं इस प्रकार है -
➤किन वस्तुओं का और सेवाओं का उत्पादन कितनी मात्रा में किया जाए इससे साधनों के आवंटन की समस्या अपने कहते हैं।
➤उत्पादन किस प्रकार किया जाए इसे तकनीकी चयन कहते हैं।
➤उत्पादन किसके लिए किया जाए।
➤राष्ट्रीय आय के वितरण।
➤आर्थिक क्षमता।
उपभोक्ता :
➤जो अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओ और सेवाओं का उपभोग करता है, उपभोक्ता कहलाता है।
➡️ उपभोक्ता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा आवश्यकताओ की प्रत्यक्ष संतुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओं के उपयोगिता मूल्य का प्रयोग होता है।
उत्पादक :
➤जो आय अर्जित करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है।
उत्पाद :
➤यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कच्चे माल को उपयोगी वस्तुओं में परिवर्तित किया जाता है।
वितरण :
➤ऐसे आर्थिक सिद्धांत जिसके आधार पर उत्पादन के कारकों के मालिकों के बीच आए का बंटवारा करना वितरण कहलाता है।
उपयोगिता :
➤वह विशेषता जो मानव की इच्छाओं को किसी वस्तु या सेवाओं के उपभोग के दौरान या बाद में संतुष्टि प्रदान करता है।
अवसर लागत (opportunity cost) :
➤एक अवसर का चयन करने पर दुसरे सर्वश्रेष्ठ अवसर का किया गया त्याग अवसर लागत कहलाता है।
सीमांत अवसर लागत ( Marginal Opportunity Cost ) :
➤किसी वस्तु की मात्रा बढ़ाने के लिए त्यागी गयी वस्तु की दर सीमांत सीमांत अवसर लागत कहलाता है |
• दर से तात्पर्य है प्रति ईकाई त्यागी गई वस्तु की मात्रा।
उत्पादन संभावना वक्र ( Production posibility curve ) -
➤उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगो ( combinations ) को प्रकट करता है जिनका उत्पादन दिए हुए संसाधनों द्वारा किया जाता।
उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताएं ( Assumptions of PPC ) -
( i ) संसाधनों की एक निश्चित मात्रा दी गई है ।
( ii ) उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण एंव कुशल प्रयोग किया गया है ।
( iii ) तकनीक में कोई परिवर्तन होता है ।
(iV). दो वस्तुएं दी गई हो।
उत्पादन संभावना वक्र की विशेषताएँ ( Properties of PPC ) -
( i ) उत्पादन संभावना वक्र का ढलान नीचे की ओर होता है ( PPC slops downward ) -
➤उत्पादन संभावना वक्र का ढलान दाएं से बाएँ ऊपर से नीचे की ओर होता है |
➤ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संसाधन स्थिर है तथा दो वस्तुओं के उत्पादन को एक साथ नहीं बढ़ाया जा सकता है ।
➤एक वस्तु का उत्पादन बढ़ने के लिए दूसरी वस्तु के उत्पादन को कम करना पड़ेगा ।
( ii ) उत्पादन संभावना वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर नतोदर होता है ( PPC is concave to the point of origin ) -
➤जैसे - जैसे वस्तु x के उत्पादन में वृद्धि की जाती है वस्तु Y का उत्पादन कम होता जाता है जिससे सीमांत अवसर लागत बढती जाती है |
➤अतः सीमांत अवसर लागत के बढ़ने के कारण उत्पादन संभावना वक्र का ढलान मूल बिंदु की ओर नतोदर होता है।
(iii). PPC सदैव धनात्मक होता है।
PPC = (Change in Y) / (Change in X)
➡️ संसाधनों और तकनीक में वृद्धि से आर्थिक संवृद्धि होती हैं।
➡️ संसाधनों और तकनीक में कमी से आर्थिक संकुचन होता है।
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Part 2