NCERT 12th Chapter 1 कार्नेलिया का गीत, देवसेना का गीत कवि परिचय, प्रसंग व्याख्या, प्रश्न अभ्यास

NCERT 12th Chapter 1 कार्नेलिया का गीत, देवसेना का गीत कवि परिचय, प्रसंग व्याख्या, प्रश्न अभ्यास 

Class 12th
Subject Hindi (Elective)
Book 1. अंतरा भाग - 2
Chapter  1 (क) देवसेना का गीत
                     (ख) कार्नेलिया का गीत   
                                                - जयशंकर प्रसाद
Type : कवि परिचय, प्रसंग व्याख्या, प्रश्न अभ्यास


कवि परिचय - जयशंकर प्रसाद🔥

जन्म:-1889, काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु:- 1937
शिक्षा:- 8वीं कक्षा के बाद संस्कृत, पालि,उर्दू,अंग्रेजी भाषाओं में तथा साहित्य का गहन अध्ययन किया।इतिहास, दर्शन, धर्मशास्त्र और पुरातत्त्व के वे प्रकांड विद्वान थे।
प्रमुख रचनाएं:- 
नाटक :-अजातशत्रु, स्कंदगुप्त, चंद्र्रगुप्त, राजश्री, ध्रुवस्वामिनी ।
उपन्यास:-कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।
कहानी संग्रह:-आँधी, इंद्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि और आकाशदीप।
निबंध संग्रह:- काव्य और कला तथा अन्य निबंध।
कविताएं:-झरना, आँसू, लहर, कामायनी, कानन कुसुम, और प्रेमपथिक।

सारांश🔥

(क) देवसेना का गीत :

सारांश – कविता जय शंकर प्रसाद जी ने लिखी है। इसे उनके स्कन्दगुप्त नाटक से लिया गया है। देवसेना मालवा के बंदु वर्मा की बहन थी, हूंडे के आक्रमण से देवसेना के पूरे परिवार को वीरगती प्राप्त हो गई। इस वजह से परिवार में सिर्फ देवसेना रह गई।
           देवसेना स्कन्द गुप्त से प्यार करती थी, लेकिन स्कन्द गुप्त मालवा के धनकुबेर की कन्या के सपने देखते थे। देवसेना ने जब उनसे शादी के लिए कहा, तो स्कन्द गुप्त ने इनकार कर दिया और जीवन के अंतिम समय में स्कन्द गुप्त को देवसेना की याद आई। लेकिन अब देवसेना आश्रम में गाना-गाकर भीख मांगती है और महादेवी की समाधी परिष्कृत करती है। जब स्कन्दगुप्त के प्यार को देवसेना ठुकरा देती है, तो स्कन्द गुप्त आजीवन कुवांरे रहने का व्रत लेते हैं।
           जिसे देवसेना आजीवन पाना चाहती थी, उनको मना करके वह दुखी हो जाती हैं। अपनी जिंदगी के इस समय पर वह अपने यौवन के बीते हुए पलों को याद करती हैं, अपनी नादानियों का पश्चाताप करती हैं और उनकी आखों से आंसू बहते हैं। तब वे ये गीत गाती हैं।

(ख) कार्नेलिया का गीत :

सारांश -- यह कविता जय शंकर प्रसाद ने लिखी है। यह कविता उनके चन्दगुप्त नाटक से ली गई है। कर्नेलिया सिकंदर के सेनापति सेलयुक्स की पुत्री थी युद्ध में हारने के बाद सम्राट चन्द्र गुप्त से सेलयुक्स ने मित्रता कर ली तथा अपनी पुत्री का विवाह उनसे करा दिया।
         इस तरह वह चन्द्र गुप्त की पत्नी बनकर भारत में आई कर्नेलिया सिंधु नदी के किनारे ग्रीक शिविर के पास पेड़ के नीचे बैठी थी तब वह भारत के अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य से मन-मोहित हो उठती है और उसका बखान करती है और कहती है सिंधु का यह मनोहर तट जैसे मेरे आंखों के सामने एक नया चित्रपट उपस्तिथि कर रहा है।
         इस वातावरण से धीरे धीरे इसकी सुंदरता जैसे हृदय को छू रहे है ऐसा लगता है मानो में लंबी यात्रा करके वह पहुंच गई हूं जंहा के लिए में चली थी ये सब कितना रमणीय है तब वह ये गीत गाती है ये गीत हमारे भारत के सौंदर्य को दर्शाता है पक्षी भी अपने प्यारे घोस्ले की ओर उड़ता है अनजान को सहारा देना और लहरों को किनारा देना हमारे भारत की सुंदरता है।

प्रश्न अभ्यास 🔥

(क) देवसेना का गीत : 

1- “मैने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई” – पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- “मैने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई” इस पंक्ति से कवि का आशय है कि जीवन में देवसेना ने यह सोचा था कि वह स्कंदगुप्त को पा लेगी।
     लेकिन ऐसा नहीं हुआ उसने बस जीवन भर सिर्फ उनकी यादें जोड़ी है उनको पाने की लालसा में पूरा जीवन निकाल दिया पर अब उसने अपने आप को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया है अब उसके मन से प्रेम की भावना खत्म हो गई है।
प्रश्न 2- कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?
उत्तर- कवि ने आशा को बावली इसलिए कहा है जब जीवन के अंतिम क्षण में स्कंदगुप्त देवसेना से आकर प्रेम का इज़हार करता है तब देवसेना सोचती है कि जीवन में जब उसे स्कंदगुप्त की जरूरत थी उस समय तो उसने स्कंदगुप्त ने निवेदन अस्वीकार कर दिया पर अब जब वो अपना जीवन देश प्रेम में लगा चुकी है। 
      अब स्कंदगुप्त वापिस आ रहे है वह इस समय अपनी आशा को बावली कहकर उन्हें चुप करती है कि आशा तुम क्यों बावली हुई जा रही हो मैं अपना कर्तव्य नहीं छोड़ सकती अगर मैने ऐसा किया तो मेरा अब तक की त्याग और तपस्या भंग हो जाएगी उसका प्रण उसकी निष्ठा उसके लिए सबसे ऊपर है। 

प्रश्न 3- “मैने निज दुर्बल पद – बल पर,उससे हारी – होड़ लगाई” इन पंक्तियों में दुर्बल पद बल और ‘ हारी होड़ ‘ में निहित व्यंजना स्पष्ट कीजिए –
उत्तर- देवसेना को आजीवन विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जब उसके परिवार पर आक्रमण हुआ तो उसके भाई समेत पूरा परिवार वीर गाती को प्राप्त हुआ तब वह अकेली पड़ गई उसका कोई सहारा नहीं था तो उसके आगे मात्र एक ही रास्ता था कि वो देश सेवा को अपना ले क्यों कि स्कंदगुप्त भी उसे ठुकरा चुके थे।
      इसलिए वह अपनी विपरीत परिस्थितियों के साथ जीने लगी और परिस्थितियों इतनी प्रबल थी को वह उनके आगे हार गई उसने परिस्थितियों से लड़ने की लिए जो होड़ लगाए यहां उसकी बात की गई है अर्थात परिस्थितियों से उसने मुकाबला किया लेकिन वो जीत नहीं पाई।
प्रश्न 4- काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
(क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया में,
गहन – विपिन की तरु – छाया में,
पथिक उंनींदी श्रुति में किसने-
यह विहाग की तान उठाई।

भाव सौंदर्य- इन पंक्तियों का भाव ये है कि जिस प्रकार घने जंगल में पथिक थका हारा अए और पेड़ो की छाव में सो रहा हो और उस कोई तान सुना दे जाए तो वह उसे अच्छे नहीं लगेगी।
     उसी प्रकार से देवसेना अपनी मिट्ठी यांदे और उसने जो सपने देखे थे स्कंदगुप्त को पाने के उनसे वह हार गई और अब वह देश सेवा के लिए समर्पित हो गई यहां वह अपने आप को पथिक के रूप में अभिव्यक्त करती है और कहती है कि अब उसे स्कन्द गुप्त का प्रेम निवेदन अच्छा नहीं लग रहा।

शिल्प सौंदर्य –
1. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
2. तत्सम प्रधान है।
3. संगीतत्मक्ता है।
4. मधुर गुण है।
5. व्योग श्रृंगार एवं करुण रस है।

(ख) लौटा लो यह अपनी थाती ,
मेरी करुणा हा – हा खाती।
विश्व ! न सँभलेगा यह मुझसे,
इससे मन की लाज गंवाई।

भाव सौंदर्य- इन पंक्तियों का भाव ये है कि देवसेना कहती है कि हे स्कंदगुप्त तुम अब अपनी वो धरोहर अर्थात वो मधुर कल्पनाएं मुझसे वापिस ले लो जो मेने तुम्हारे याद में संजोई थी तुम्हें पाने कि वह सब तुम मुझसे वापिस ले लो क्यों कि अब मेरा हृदय इनको और संभाल नहीं पा रहा है।
मेरी करुणा भी थक हार चुकी है और मैने अपने मन की लाज भी गवा दी हैं।

शिल्प सौंदर्य –
1. मानवीय करण किया गया है
2. करुण रस है
3. व्योग श्रृंगार है
4. लाज गवाना मुहावरे का प्रयोग है
5. तत्सम शब्द व खड़ी बोली का प्रयोग किया है।

प्रश्न 5- देवसेना की हार या निराशा के क्या कारण हैं?
उत्तर- देवसेना महाराजा बंदू वर्मा की बहन है उसका सारा परिवार वीरगती को प्राप्त होता है अपने शादी के सपने को साकार करने के लिए वह स्कंदगुप्त के शरण में जाती है पर वो धन कुबेर की कन्या विजया से प्राप्त करता है और वह देवसेना के प्रेम को अस्वीकार कर देते है।
      देवसेना का जीवन संकटों से भरा है किन्तु वह जीवन की विपरीत परिस्थितियों में जीती तो है उनसे होड़ भी लगाती है किन्तु वह हार जाती है क्यों कि विपरीत परिस्थितियां इतनी प्रबल है कि उसके जीवन में निराशा व्याप्त हो जाती है।

(ख) कार्नेलिया का गीत :

प्रश्न 1. कर्नेलिया का गीत कविता में प्रसाद ने भारत की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया?
उत्तर- कर्नेलिया का गीत कविता में प्रसाद ने भारत की इन विशेषताओं की ओर संकेत किया – 
सूर्य की लालिमा जब पेड़ो और वृषको की चोटी पर पहुँचती है तो ऐसा लगता है मानो वह नाच रही हो।
सारी हरियाली पर सूर्य की किरणों का प्रकाश पड़ता है तब ऐसा लगता है मानो किसी ने मंगल कुमकुम बिखेर दिया हो।
यह वही देश है जिसके ओर पक्षी भी अपने रंग बिरंगे पंखों को फैलाकर उडे चले आते हैं और वह सोचते है कि वह यही घोस्ला बनाएँ क्यों कि वह इसे ही अपना घर समझते है।
यहां के निवासियों के हृदय में करुणा के भाव रहता है और वह अपने दुखों को भूल कर उन लोगों को अपनाते है व उनकी मदद करते हैं।
इस देश की इतनी विशालता है कि सागर की लहरे भी इसके तट से टकरा कर आराम पाती हैं।

प्रश्न 2- ‘उड़ते खग’ और ‘बरसाती आंखो के बादल’ में क्या विशेष अर्थ व्यंजित होता है?
उत्तर- उड़ते खग से कविं कहना चाहता है कि पक्षी भी अपने रंग बिरंगे पंखों को फैलाकर भारत वर्ष को अपना नीड़ यानी अपना घर समझकर उसकी ओर मुख किए उडे चले आते हैं और अपने बच्चों को वह यही घोस्ला बनाकर जन्म देते हैं इसका अभप्राय यह है कि को अनजान लोग है वह भारत में आना चाहते है क्यों कि वह यहां आकर शांति पाते है ।

बरसाती आँखों से कवि का मानना है कि यहां के लोगों के अंदर करुणा कि भावना है उनके अंदर भले ही कितने दुख हो लेकिन वो बाहर से आए लोगों का दुख सुनकर उनको सुलझाने का प्रयास करते है उन्हें सहारा देते है और उन्हें आशा की किरण दिखाते है।

प्रश्न 3- काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए – 
हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा॥
भाव सौंदर्य- कवि कहता है मानो उषा रूपी पनिहारिं रूपी स्वर्ण कलश में सुख वह समृद्धि रूप जल भरकर भारत भूमि पर लुढ़का देती है अर्थात प्रातः कालीन में भारतवासी सुख समृद्धि से भरपूर दिखाई पड़ते है। और रात भर जागने के कारण तारे भी नींद की खुमारी में मस्त रहते है पर अब वो छिपने की तैयारी कर रहे है क्यों कि अब उजाला होने वाला है। कवि ने प्रातः कालीन सौंदर्य का बहुत सुंदर वर्णन किया है। 

शिल्प सौंदर्य- 
तारों का और उषा का मानवीय करण किया है।
जब जागकर में अनुप्रास अलंकार है
हेम कुंभ में रुपक अलंकार है।
तत्सम शब्द व खड़ी बोली का प्रयोग है।
संगीतत्मकता और प्रतीकात्मकता है।
प्रश्न 4- ‘ जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा ‘ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इस पंक्ति के माध्यम से कवि ये कहना चाहता है की ये हमारा भारत देश अत्यंत उत्साह से भरा हुए है। जब इस पर सूर्य की किरणों का प्रकाश पड़ता है, तब ये और भी सुंदर लगता है।

इस देश में सूर्य का ये दृश्य अत्यंत मनमोहक है यहां पहुँचकर अनजान शितिझ को भी सहारा मिल जाता है कहने का तात्पर्य ये है कि भारत में अपरिचित लोगो को यानी दूर देश से आए हुए लोगो को भी अपनापन लगता है उनको भी यहां सहारा मिलता है।

प्रश्न 5- कविता में व्यक्त प्रकृति चित्रों को अपने शब्दो में लिखिए।
उत्तर- कवि ने प्रातःकालीन सौंदर्य का बहुत सुंदर वर्णन किया है। कवि कहता है कि यह देश मधुरता से भरा हुआ है मिठास से भरा हुआ है यहां के निवासियों के मन में प्रेम भरा हुआ है और वह अत्यंत उत्साहित है। 

अतः सूर्य की किरणें जब इस देश पर पढ़ती है तो यह देश और भी ज्यादा सुंदर लगता है पत्तियां मंद मंद हिलती हुई नज़र आती हैं लगता है मानो वह धूप की किरणों से वो नाच रहे हो चारों ओर हरियाली छाई हुई है और उस पर धूप की किरणें ऐसी लगती है मानो पवित्र कूम कूम बिखर गया हो।

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