NCERT/JCERT/CBSE Chapter 2 गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति कवि परिचय - प्रसंग व्याख्या - प्रश्न अभ्यास Git gane do mujhe, saroj smriti Prasang vyakhya kavi parichay prashna abhyas

NCERT/JCERT/CBSE Chapter 2 गीत गाने दो मुझे, सरोज स्मृति कवि परिचय - प्रसंग व्याख्या - प्रश्न अभ्यास Git gane do mujhe, saroj smriti Prasang vyakhya kavi parichay prashna abhyas

Class 12th
Subject Hindi (Elective)
Book 1. अंतरा भाग - 2
Chapter  2. (क) गीत गाने दो मुझे
                      (ख) सरोज स्मृति
                                    - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
Type : कवि परिचय, प्रसंग व्याख्या, प्रश्न अभ्यास


कवि परिचय - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला 🔥

जन्म:- 1898,बंगाल में मेदिनीपुर ज़िले के महिषादल गाँव
मृत्यु:- 1961,इलाहाबाद
परिवार:-उनका पितृग्राम उत्तर प्रदेश का गढ़कोला (उन्नाव) है। उनके बचपन का नाम सूर्य कुमार था। बहुत छोटी आयु में ही उनकी माँ का निधन हो गया।निराला का जन्म बंगाल में मेदिनीपुर ज़िले के महिषादल गाँव में हुआ था। उनका पितृग्राम उत्तर प्रदेश का गढ़कोला (उन्नाव) है। उनके बचपन का नाम सूर्य कुमार था। बहुत छोटी आयु में ही उनकी माँ का निधन हो गया। निराला की विधिवत स्कूली शिक्षा नवीं कक्षा तक ही हुई। पत्नी की प्रेरणा से निराला की साहित्य और संगीत में रुचि पैदा हुई। सन् 1918 में उनकी पत्नी का देहांत हो गया और उसके बाद पिता, चाचा, चचेरे भाई एक-एक कर सब चल बसे। अंत में पुत्री सरोज की मृत्यु ने निराला को भीतर तक झकझोर दिया। अपने जीवन में निराला ने मृत्यु का जैसा साक्षात्कार किया था उसकी अभिव्यक्ति उनकी कई कविताओं में दिखाई देती है।
शिक्षा:- निराला की विधिवत स्कूली शिक्षा नवीं कक्षा तक ही हुई।पत्नी की प्रेरणा से निराला की साहित्य और संगीत में रुचि पैदा हुई
प्रमुख रचनाएं:-
कविता:- जूही की कली(1916)
➡️1922 में रामकृष्ण मिशन द्वारा प्रकाशित पत्रिका समन्वय के संपादन से जुड़े। 
➡️सन् 1923-24 में वे मतवाला के संपादक मंडल में शामिल हुए


सारांश🔥

(क) गीत गाने दो मुझे

सारांश- गीत गाने दो कविता कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी द्वारा रचित काव्य है। कवि ने अपने जीवन की मुश्किलों से बहुत कुछ सीखा है और कवि ने इस कविता के माध्यम से वही समझाने प्रयास किया है। 
           कवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जी ने अपने इस कविता के माध्यम से हमें जीवन में निरंतर संघर्ष करने की प्रेरणा दी है। कवि का मानना है कि हमें जीवन की मुश्किल परिस्थितियों में होश हावास नहीं खोना चाहिए।
             प्रस्तुत काव्यांश में कवि निराला ने अपने पीढ़ा को कम करने के लिए गीत गाने की बात कही है। कवि निराला का जीवन संघर्षों से भरा था। वह जीवन भर संघर्ष करते-करते थक चुके थे
            एक समय पर कवि को ऐसा भी लगता है, मानो उनका अंत करीब आ गया हो। वे ऐसी स्थिति में पहुंच गए थे, जहां वो बिल्कुल हार मान चुके थे। अब उनको ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे की उनकी मृत्यु उनके निकट खड़ी हैं। आईये इस ब्लॉग में इसे विस्तार से समझते हैं।

(ख) सरोज स्मृति

सारांश- सरोज स्मृति कविता एक शोक कथा है। यह कविता कवि निराला ने अपनी एक लौती पुत्री सरोज के याद में लिखी थी। इस कविता में कवि निराला का दर्द कविता के छंदों के माध्यम से व्यक्त हुआ है।
           यह कविता मात्र एक शोक गीत ही नहीं है, बल्कि एक पिता का समाज के प्रति एक आक्रोश भी है। कवि निराला अपनी पुत्री को बचा नहीं पाए थे और इसके लिए जिम्मेदार वह समाज को मानते हैं।
            सरोज स्मृति हिंदी की सर्वोच्च उच्च कोटि का शोक गीत माना जाता है। 


प्रश्न अभ्यास 🔥

(क) गीत गाने दो मुझे

प्रश्न 1- कंठ रुकता रहा है, काल आ रहा है – यह भावना कवि के मन में क्यों आई? 
उत्तर- कवि कहता है कि यह जो जीवन है, इसमें सिर्फ परेशानियाँ ही परेशानियाँ है। हांलाकि कवि ने अपने जिंदगी में काफी संघर्ष किया। परन्तु वह इन परेशानियों से लड़ नहीं पा रहा है। 

वह देख रहा है, संसार में सब स्वार्थी हो गए हैं। हर तरफ उसे निराशा नजर आ रही है। अब संघर्ष करते करते कवि की हिम्मत टूट गई है। उसके मन में निराशा की भावना उत्पन्न हो रही है। कवि को ऐसा लगता है, जैसे उसके मुंह से आवाज़ नहीं आ रही है, लगता है अंत नज़दीक हैं।

प्रश्न 2- ठग – ठाकुरों से कवि का संकेत किन की ओर है?
उत्तर- ठग- ठाकुरों से कवि का संकेत पूँजीपतियों तथा प्रशासक वर्ग की ओर है क्योंकि ये आम लोगो के ऊपर शोषण करते हैं। उन्हें दबाए रखना चाहते हैं। और निम्न वर्ग हमेशा शोषित होता रहता है, ताकि इन लोगो को लाभ मिलता रहे और वह अपना प्रभुत्व भी कायम रखना चाहते हैं।

प्रश्न 3- जल उठी फिर सीचने को – इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- कवि कहता है कि ऐसा लगता है, जैसे धरती की लौ यानी भाईचारे करुणा जैसे गुण मिट गए है वह लोगो से निवेदन करता है कि अब संघर्ष करने का समय आ गया है।

अब वह उठे और संसार के शोषण, स्वार्थ और निराशा को दूर करने के लिए लड़े जिससे संसार में प्रेम की भुजी लो दोबारा जल उठे और निराशा आशा में बदल जाएं और लोगो के बीच भाईचारे की भावना जल उठे।

प्रश्न 4- प्रस्तुत कविता दुख या निराशा से लड़ने की शक्ति देता है – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत कविता हमे दुख या निराशा से लड़ने की शक्ति देता है। जिस तरह कवि का जीवन कष्टों भरा रहा है और वह संघर्ष करता रहा है। उसने पूँजीपतियों के प्रति हमेशा अपना आक्रोश व्यक्त किया है। पर अब ऐसा प्रतीत होता है, मानो वह निराश हो रहा है। ऐसा लगता है मानो लोगो में जीने की इच्छा भी ख़तम हो रही है।

कवि इसी लॉ को जलाने की बात कर रहा है। अपने गीत के द्वारा कवि मनुष्य को संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। जिससे उनके अंदर का उत्साह फिर से जागृत हो जाए। 

मानवता के जीवन को स्थापित करने के लिए, प्रेम भाईचारे की भावना को स्थापित करने के लिए एकजुट हो और संघर्ष करने की ठान ले जिससे धरती पर मानवता फिर से व्याप्त हो जाएं और निराशा का वातावरण दूर हो।

(ख) सरोज स्मृति

प्रश्न 1. सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर- कवि निराला को उनकी पुत्री सरोज विवाह वाले दिन कामदेव की पत्नी रति जैसी सुंदर लग रही थी। सरोज जब हंस रही थी तब वह अपने होठों को मध्य में रोक भी रही थी। विवाह वाले दिन सरोज को अपनी माता की भी बहुत याद आ रही थी। 

सरोज विवाह के जोड़े में बिल्कुल अपनी माता की तरह लग रही थी। कवि निराला को अपनी पुत्री में अपनी पत्नि की छवि दिख रही थी। कवि निराला को अपनी पुत्री संसार की सबसे अच्छी वधू लग रही थी।

प्रश्न 2. कवि को अपनी स्वर्गीया पत्नी की याद क्यों आई?
उत्तर- कवि निराला को अपनी स्वर्गीया पत्नी की याद उनकी पुत्री सरोज को विवाह के जोड़े में देख कर आई। जब वह कविता लिख रहे थे तब अपनी पुत्री सरोज को याद करते करते भी कवि निराला को अपनी पत्नी की याद बेहद सता रही थी।

एक पिता होने के साथ-साथ एक मां का भी कर्तव्य कवि निराला ने निभाया था। इसलिए विवाह वाले दिन कवि निराला को अपनी पत्नी की याद आ रही थी।

प्रश्न 3. ‘आकाश बदल कर बना मही’ में ‘आकाश’ और ‘मही’ शब्द किनकी ओर संकेत करते हैं?
उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्तियां कवि निराला को श्रृंगार से भरपूर कल्पना के क्षण याद दिला रहे हैं। कवि निराला को अपनी पुत्री विवाह के दिन ऐसे लगी मानो आकाश से कोई परी धरती पर उतर आई हो।

प्रश्न 4. सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर- सरोज का विवाह अन्य विवाहों से इसलिए भिन्न था क्योंकि सरोज के विवाह में ना तो कोई विवाह के गीत गाए गए थे, ना ही किसी को निमंत्रण पत्र दिया गया था, मेहंदी एवं हल्दी जैसे रस्म भी नहीं निभाए गए थे।

एक तरह से कहा जाए तो सरोज का विवाह बहुत ही सादगी के साथ शांति नामक गीत से संपन्न हुआ था।

प्रश्न 5. ‘वह लता वहीं की, जहां कली तू खिली’ पंक्ति के द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है?
उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के माध्यम से कवि निराला अपनी पुत्री सरोज के पालन पोषण के प्रसंगों को उठाते हैं। सरोज का बचपन उनके ननिहाल में गुज़रा था। सुख-दुःख की घड़ी में सरोज को उसके ननिहाल का सहारा था। कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से पुत्री सरोज के बचपन का चित्रण किया था।

प्रश्न 6. ‘मुझ भाग्यहीन की तू संबल’ निराला की यह पंक्ति क्या ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसे कार्यक्रम की मांग करती है।
उत्तर- हाँ, प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसे कार्यक्रम की मांग करती है।

प्रश्न 7. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए-
(क) नत नयनों से आलोक उतर
उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के माध्यम से कवि अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करते है। कवि अपनी पुत्री सरोज के आँखों का वर्णन करते हुए कहते है कि उसके आँखों में एक चमक थी। 
(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार
उत्तर- अर्थहीन श्रृंगार का वर्णन किया गया था।
(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला
उत्तर- अभिज्ञान शकुंतलम की शकुंतला से कवि ने अपनी पुत्री सरोज की तुलना की है। सरोज एवं शकुंतला दोनों ही माता विहीन पुत्री थी। लेकिन एक अंतर यह था कि शकुंतला की माता स्व इच्छा से शकुंतला को छोड़कर चली गई थी और सरोज की माता की अकाल मृत्यु हो गई थी।
(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा याद
उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कहते हैं कि वे सच्चाई के पथ पर चलना अधिक पसंद करते हैं।

कवि निराला का जीवन दुखों से भरा पूरा था लेकिन फिर भी कभी भी उन्होंने कोई गलत रास्ता नहीं चुना। उन्होंने धर्म का साथ दिया और हमेशा सत्य के पथ पर अग्रसर रहें।

अंत में कवि इश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके सभी अच्छे कर्मों का फल उनकी पुत्री को प्राप्त हो और अंत में वह अपनी पुत्री का तर्पण करते हैं।


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