राष्ट्रीय गीत। Rashtriy Geet.
Table of Contents:
- राष्ट्रीय गान
- राष्ट्रीय वंदना
- राष्ट्रीय ध्वज वंदना
- ऐ मेरे वतन के लोगो
- इन्साफ की डगर पे
- आवाज दो हम एक हैं
- कर चले हम फिदा जाने तन साथियों
- अपनी आजादी को हम
- हम लाएं है तूफान से
- यह देश है वीर जवानों का
- मेरे देश की धरती
- आओ बच्चे तुम्हे दिखाएं
- नन्हा मुन्ना राही
- विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
- बगावत का खुला पैगाम
- दे दी हमे आजादी
- वक्त के जवानों
- बच्चो तुम तकदीर हो
- बच्चे मन के सच्चे
- मेरा रंग दे बसंती चोला
- भारत मां की आंखों के तारों
- आज है दो अक्टूबर का दिन
- कश्मीर है भारत का
- किसी ने कहा है
- बच्चो तुम तकदीर हो
- चलो सिपाही चलो
- हम एक है
- मत रो माता
- फिल्म - अमर शहीद
- फिल्म - नया दौर
- फिल्म - जौहर इन कश्मीर
- फिल्म - शहीद
- फिल्म - पूरब और पश्चिम
- फिल्म - सिकंदर ए आजम
- फिल्म - अपना घर
- अब कोई गुलशन न उजड़े
- मत रो माता
- बढ़े चलो बढ़े चलो
- बड़ी देर भई नंदलाला
- सरफरोसी की तमन्ना
- हिंदुस्तान हमारा है
- तू ही मेरी जिंदगी
- मेरी शान तिरंगा है
- सुनो गौर से दुनिया वालो
- जिंदगी मौत न बन जाएं
- गायक - तरुण तूफानी
- लाशिया साहिदवनके आई गेले
- लड़के केहू पार न पाई
- राष्ट्रीय कव्वाली : रचना - प्रभु दयाल प्रसाद
राष्ट्रीय गान
जन - गण - मन- अधिनायक जय हे ,
भारत - भाग्य - विधाता ।
पंजाब - सिन्धु- गुजरात - मराठा ,
द्रविड़ उत्कल बंगा ।
विन्ध्य - हिमाचल - यमुना - गंगा ,
उच्छल जलधि तरङ्गा
तब शुभ नामे जागे ,
तब शुभ आशीष मांगे ।
गाये तब जब गाथा ,
जन गण मंगलदायक जय हे ।
भारत भाग्य - विधाता ,
जय हे ! जय हे ! यह हे !
जय जय जय हे !
राष्ट्रीय - वंदना
वन्दे मातरम्
सुजलाम् सुफलाम् मलयज शीतलाम्
शस्य स्गमलाम् मातरम्
शुभ्र ज्योत्स्नाम पुलकित यामिनीम् :
फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम् वरदाम् मातरम्
।। वंदे मातरम् ॥
राष्ट्रीय ध्वज - वंदना
हिन्द देश का प्यारा झण्डा , ऊँचा सदा रहेगा ।
तुफानों और बादलों से भी नहीं झुकेगा ।
नहीं झुकेगा , नहीं झुकेगा , झण्डा नहीं झुकेगा । हिन्द .......
केसरिया बल भरने वाला , सदा है सच्चाई । .
हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई ।
और चक्र कहता है कि हमारा कदम कभी न रुकेगा । हिन्द ......
शान हमारी यह झण्डा है यह अरमान हमारा है ।
यह बल पौरुष है सदियों का यह बलिदान हमारा है ।
आसमान में लहराये , यह सागर में लहराये । हिन्द ........
जहाँ - जहाँ जाये झण्डा यह सन्देश सुनाये ।
है आजाद हिन्द यह , दुनिया को आजाद करेगा । हिन्द ......
नहीं चाहते हम दुनिया को अपना दास बनाना ।
नहीं चाहते हम औरों के मुँह की रोटी खा जाना ।
सत्य न्याय के लिए हमारा लहू सदा बहेगा । हिन्द .....
हम कितने सुख - सपने लेकर इसको फहराते हैं ।
इस झण्डा पर मर मिटने का कसम भी खाते हैं ।
हिन्द देश का यह झण्डा घर - घर में लहरायेगा | हिन्द ...... .
ऐ मेरे वतन के लोगों
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सबका लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर , वीरों ने हैं प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये ।
ऐ मेरे वतन के लोगों , जरा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी
जब घायल हुआ हिमालय खतरे में पड़ी आजादी
जब तक थी साँस लड़े वो , फिर अपनी लाश बिछा दी - 2
हो गए वतन पे निछावर , वो वीर थे कितने गुमानी जो .....
जब देश में थी दीवाली वे झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में वे खेल रहे थे होली
थे धन्य जवान जो अपने थी धन्य अपनी जवानी । जो .....
कोई सिक्ख , कोई जाट - मराठा , कोई गोरखा , कोई मद्रासी
सरहद पर मरने वाला , हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर वो खून था हिन्दुस्तानी । जो .......
थी खून से लथपथ काया , फिर भी बन्दूक उठा के
दस - दस को एक ने मारा , फिर गिर गये होश गँवा के ,
जब अन्त समय आया तो वह कह गये कि हम चलते हैं
खुश रहना मेरे देश के प्यारों अब हम तो सफ़र करते हैं ।
क्या लोग थे वे दीवाने , क्या लोग थे वे अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी
जय हिन्द ! जय हिन्द !! जय हिन्द की सेना !!
इन्साफ की डगर पे
इन्साफ की डगर पें , बच्चों दिखाओ चल के
यह देश यह तुम्हारा , नेता तुम्हीं हो कले के
दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल के इन्साफ ..
अपने हो या पराये सबके लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा हरगिज न डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं चलना सम्भल- सम्भल के । इन्साफ ...
इन्सानियत के सिर पे इज्जत की ताज रखना
तन - मन की भेंट देकर भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा अन्तिम चिता में जल के इन्साफ ...
आवाज दो हम एक हैं
एक है अपनी जमीं , एक है अपना गगन
एक है अपना जहाँ , एक है अपना वतन
अपने सभी हम एक हैं , अपने सभी गम एक हैं ।
आवाज दो हम एक हैं , आवाज दो हम एक हैं ।
यह वक्त सोने का नहीं यह वक्त खोने का नहीं
जागो वतन खतरे में है सारा चमन ख़तरे में है
फूलों के चेहरे जर्द है जुल्फें फिजा की सर्द हैं
उभरा हुआ तूफान है खतरे में हिन्दुस्तान है
दुश्मन से नफरत फर्ज है घर की हिफाजत फर्ज है ।
बेदाग हो , बेदाग हो आमद ये बेदाग हो । आवाज दो .....
ये हिमालय की जमीं शिवाजी अजन्ता की जमीं
संगम हमारी आन है , चित्तौड़ अपना शान है
गुलमर्ग का महका चमन गंगा के तट गोकूल का वन
गंगा की धारें अपने हैं ये सभी हमारे अपने हैं । आवाज दो ......
कह दो कि हम बेदाग हैं कह दो कि हम तैयार हैं । आवाज .....
उठो जवानों ये वतन , बाँधे हुए सर पर कफन
उठो दक्षिण की ओर से , गंगा - जमुना की छोर से
पंजाब के दिल से उठो , सतलज के साहिल से उठो
महाराष्ट्र की खाक से , दिल्ली की अजपाक से
बंगाल से गुजरात से , कश्मीर से बंगाल से आवाज ..........
नेफा से राजस्थान से , कुछ बाकी हिन्दुस्तान से आवाज .......
कर चले हम फिदा जाने तन साथियों
कर चले हम फिदा जाने तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
साँस थमती गई नब्ज जमती गई ।
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया .
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते - मरते रहा बांकपन साथियों । अब ...
जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रूप रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों का रूसवा करे
वह जवानी जो ख़ून में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों -2 अब .......
राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफिले
फतह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर पे कफन साथियों , अब ......
खींच दो अपने खून से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाये न रावण कोई .
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठाने लगे
छूने पाये न सीता का दामन कोई
राम हो तुम , तुम्हीं लक्ष्मण साथियों , अब तुम्हारे ......
अपनी आजादी को हम
अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं । अपनी .....
हमने सदियों में आजादी की कीमत पाई है
सैंकड़ों कुर्बानियाँ देकर यह दौलत पाई है
कितने विरानों से गुजरें हैं तो जन्नत पायी है
खाक में हम अपनी इज्जत को मिटा सकते नहीं । अपनी ......
क्या चलेगी जुल्म की अहले वफा के सामने
चल नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने .
लाख फौजें ले के चमन का दुश्मन कोई
रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने
हम पत्थर हैं , दुश्मन हिला सकता नहीं । अपनी ...
वक्त की आवाज के हम साथ चलते जायेंगे
हर कदम पे जिन्दगी की रुख बदलते जायेंगे
गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दारे वतन
अपनी ताकत से उसका सर कुचलते जायेंगे ।
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं । अपनी .....
हम वतन के नौजवान हैं हमसे जो टकरायेगा "
वह हमारी ठोकरों से खाक में मिल जायेगा
वक्त के तूफान में बह जायेगा जुल्मो सितम .
आसमान पर वह तिरंगा उम्र भर लहरायेगा
जो सबक बापू ने सिखाया उसे हम भूल सकते नहीं । अपनी .....
दुश्मनों के हम हैं दुश्मन यारों के हम यार हैं
चमन में फूलों की डाली जंग में हम तलवार हैं
जिस किसी में हौसला हो आजमा कर देख ले
जिन्दगी के वास्ते मरने को हम तैयार हैं
उठा चुके हैं जो कदम पीछे हटा सकते नहीं । अपनी ...