आलेख विभिन्न प्रकार के आलेख Most Important aalekh Most Important

Class : 11th & 12th 

Type : NCERT Most Important Question Answer 

Book Name : अभिव्यक्ति और माध्यम



आलेख

1. एक अच्छा स्कूल स्कूल

     ऐसी जगह होना चाहिए जहाँ सीखने के लिए उचित माहौल बन सके। स्कूल के बुनियादी ढाँचे के अलावा इसके वैल्यू सिस्टम समेत हमें इसके वातावरण पर फिर से गौर करना होगा। हमें बच्चों को दखलंदाजी से मुक्त और रोचक माहौल देने की आवश्यकता है। हमें ऐसे तत्वों को पहचानकर दूर करना होगा, जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में बाधक हैं। अनुशासन के लिहाज से यही बेहतर है कि ऐसे नियम-कायदों को, जिन्हें बच्चे सजा की तरह समझे, जबरन लादने की बजाय नियमों को तय करने में उनकी भागीदारी भी हो। हमें उन्हें सशक्त बनाना होगा और स्कूली प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।

     क्लास रूम में लोकतांत्रिक व्यवस्था नजर आए, जहाँ बच्चों के साथ इंटरएक्शन संवादात्मक हो, शिक्षात्मक नहीं; जहाँ सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार किया जाए। आपसी संपर्क, संवाद और अनुभव पर आधारित शिक्षा संबंधी प्रविधियाँ अधिक प्रभावशाली होंगी। अवधारणाओं को सिखाने पर ध्यान देना चाहिए।

     मेरे विचार से यह बेहद जरूरी है कि हम शिक्षा को व्यापक सामाजिक संदर्भों के हिसाब से देखें। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे बच्चे अपने ज्ञान को बाहरी दुनिया के साथ जोड़ सकें। ज्ञान वास्तविक अनुभवों से आता है और यदि क्लास रूम के क्रियाकलापों को वास्तविकता से नहीं जोड़ा जाता तो शिक्षा हमारे बच्चों के लिए महज शब्दों और पाठों का खेल ही बनी रहेगी। आज हम एक समाज के तौर पर बेहतर स्थिति में हैं और बदलाव के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।

     देश में कई स्कूल और संस्थान यह दर्शा रहे हैं कि वस्तुत: हम पुराने तौर-तरीकों से निजात पाकर बेहतर शिक्षा के लिए प्रयास कर सकते हैं। जयपुर का दिगंतर द्वारा संचालित बंध्याली स्कूल, बंगलूरू का सेंटर फ़ॉर लर्निग या बर्दवान में विक्रमशिला का विद्या स्कूल जैसे कुछ शिक्षालय ऐसी शिक्षा के लिए जाने जाते हैं, जैसी हम चाहते हैं। एकलव्य, दिगंतर और विद्या भवन जैसे सामाजिक संस्थान और आई डिस्कवरी तथा ईजेड विद्या जैसे कुछ सामाजिक उपक्रम पूरे देश में चलाए जा रहे इस सतत आंदोलन का एक हिस्सा हैं। इन सबके प्रभाव मुख्यधारा की स्कूलिंग पर नजर आने लगे हैं।


2. भारतीय कृषि की चुनीती

ऐसे समय में, जब खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं और दुनिया में भुखमरी अपने पैर पसार रही है, जलवायु-परिवर्तन से संबंधित विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि आने वाले वक्त में हमें और भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा। दिनों-दिन बढ़ते वैश्विक तापमान की वजह से भारत की कृषि-क्षमता में लगातार गिरावट आती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक इस क्षमता में 40 फ़ीसदी तक की कमी हो सकती है। (ग्लोबल वार्मिग एंड एग्रीकल्चर, विलियम क्लाइन)।

कृषि के लिए पानी और ऊर्जा या बिजली दोनों ही बहुत अह तत्व हैं, लेकिन बढ़ते तापमान की वजह से दोनों की उपलब्धता मुश्किल होती जा रही है। तापमान बढ़ने के साथ ही देश के एक बड़े हिस्से में सूखे और जल संकट की समस्या भी बद से बदतर होती जा रही है। एक तरफ वैश्विक तापमान से निपटने के लिए जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल पर ब्रेक लगाने की जरूरत महसूस की जा रही है। वहीं दूसरी ओर कृषि-कार्य के लिए पानी की आपूर्ति के वास्ते बिजली की आवश्यकता भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

खाद्य सुरक्षा, पानी और बिजली के बीच यह संबंध जलवायु-परिवर्तन की वजह से कहीं ज्यादा उभरकर सामने आया है। एक अनुमान के मुताबिक अगले दशक में भारतीय कृषि की बिजली की जरूरत बढ़कर दुगुनी हो जाने की संभावना है। यदि निकट भविष्य में भारत को कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के समझौते को स्वीकारने के लिए बाध्य होना पड़ता है तो सबसे बड़ा सवाल यही उठेगा कि फिर आखिर भारतीय कृषि की यह माँग कैसे पूरी की जा सकेगी।


3. मनोरंजन का नया बॉस

‘रियलिटी शो’ किस चिड़िया का नाम है, इस दशक से पहले हिंदुस्तान में शायद ही कोई इस बात से वाकिफ़ था। लेकिन इस पूरे दशक में छोटे पर्दे और रियलिटी शो का मानो चोली-दामन का साथ हो गया। इन रियलिटी शो के जरिये आम लोगों की प्रतिभा सामने आई और हिंदुस्तानी दर्शकों को अहसास हुआ कि छोटा पर्दा बड़े सितारे तैयार कर सकता है और कुछ लोगों की किस्मत भी बदल सकता है।

छोटे पर्दे को रियलिटी शो ने इस दशक में वह ताकत दी कि यह बड़े पर्दे के सितारों को अपने फलक तक खींच लाया। बॉलीवुड के इतिहास के सबसे बड़े सितारे अमिताभ बच्चन हों या शाहरुख खान, सलमान खान, गोविंदा, अक्षय कुमार, माधुरी दीक्षित, शिल्पा शेट्टी और अरशद वारसी, एक के बाद एक सितारों को यहाँ पनाह मिली। गेम शो हो या डांस शो, गीत हों या एक घर में रहकर एक-दूसरे की टाँग खींचने वाले शो या फिर एमटीवी रोडीज जैसे बिगडैल युवाओं के शो, दर्शकों ने हरेक को पूरी तवज्जो दी।


4. हस्ती मिटती नहीं हमारी …………

अथवा

भारत का बदलता चेहरा

वर्ष 2000 के बाद का दशक समाप्त हो चुका है। अगला दशक प्रारंभ हो चुका है। सन 2001 में जॉर्ज डब्ल्यू० बुश के दुनिया के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सामरिक ताकत की कमान सँभालने के बाद से बराक ओबामा के द्रवितीय कार्यकाल तक बहुत कुछ बदल चुका है। बुश के पर्दे पर उभरने के समय जहाँ अमेरिका ही दुनिया के रंगमंच पर प्रमुख भूमिका में था, वहाँ अब ओबामा के दौर में चीन और भारत भी बेहद अह भूमिका में नजर आने लगे हैं।

शीतयुद्ध के बाद बनी एकध्रुवीय दुनिया ने भला ऐसी अँगड़ाई क्यों ली? इस सवाल के जवाब में कुछ लोग बुश की नीतियों को दोषी ठहराते हैं तो कुछ लोग चीन और भारत की नीतियों और प्रतिभाओं को इस चमत्कार का श्रेय देते हैं। छाछ भी फ्रैंक-फूंक कर पीने की तर्ज पर खुद ओबामा दोनों ही कारणों का अपने भाषणों और नीतियों में उल्लेख करते नजर आ रहे हैं।

मगर एक बात पर तो शायद सभी एक मत हैं कि दुनिया की इस बदलती तस्वीर के पीछे का असल कलाकार तो आर्थिक मंदी ही है। बीते दशक की शुरुआत में जहाँ सब कुछ हरा-हरा नजर आ रहा था, वहीं दबे पाँव आई मंदी ने मानो सब कुछ उलट-पुलट कर दिया। जाहिर है, ऐसे खतरनाक भूचाल के बाद अगर अमेरिका और यूरोप जैसे महारथी औधे मुँह गिर पड़े हों और भारत फिर भी मतवाली चाल से चलता चला जा रहा हो तो फिर क्यों न दुनिया इस चमत्कार को नमस्कार करे।


5. कॉमनवेल्थ गेम्स

कॉमनवेल्थ गेम्स का सबसे पहला प्रस्ताव दिया था, वर्ष 1891 में ब्रिटिश नागरिक एस्ले कूपर ने। उन्होंने ही एक स्थानीय समाचार-पत्र में इस खेल प्रतियोगिता का प्रारंभिक प्रारूप पेश किया था। इसके अनुसार, यदि कॉमनवेल्थ के सदस्य देश प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर इस तरह की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करें, तो यह उनकी गुडविल तो बढ़ाएगा ही, आपसी एकजुटता में भी खूब इजाफ़ा होगा। फिर क्या था, ब्रिटिश साम्राज्य को कूपर का यह प्रस्ताव बेहद पसंद आया और उसके साथ ही शुरू हो गया खेलों का यह महोत्सव।

पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित करने की कोशिश हुई वर्ष 1911 में। यह अवसर था किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक का। यह एक बड़ा उत्सव था, जिसमें अन्य सांस्कृतिक आयोजनों के अलावा, इंटर एंपायर चैंपियनशिप भी संपन्न हुई। इसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, साउथ अफ्रीका और यूके की टीमें शामिल हुई थीं। इसमें विजेता टीम थी-कनाडा, जिसे दो फीट और छह इंच की सिल्वर ट्रॉफ़ी से नवाजा गया था। काफी समय तक कॉमनवेल्थ गेम्स के शुरुआती प्रारूप में कोई बदलाव नहीं हुआ।

वर्ष 1928 में जब एम्सटर्डम ओलंपिक आयोजन हुआ तो फिर ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे शुरू करने का निर्णय लिया और हैमिल्टन, ओटेरिया, कनाडा में शुरू हुए पहले कॉमनवेल्थ गेम्स। हालाँकि इसका नाम उस समय था ब्रिटिश एंपायर गेम्स। इसमें ग्यारह देशों ने हिस्सा लिया था।

ब्रिटिश एंपायर गेम्स की सफलता कॉमनवेल्थ गेम्स को नियमित बनाने के लिहाज से एक बड़ी प्रेरणा थी। वर्ष 1930 से ही यह प्रत्येक चार वर्षों के अंतराल पर आयोजित होने लगा। वर्ष 1930 से 1950 तक यह ब्रिटिश एंपायर गेम्स के नाम से ही जाना जाता था। फिर वर्ष 1966 से 1974 तक इसे ब्रिटिश कॉमनवेल्थ गेम्स के रूप में जाना जाने लगा। इसके चार वर्ष बाद यानी वर्ष 1978 से यह कॉमनवेल्थ गेम्स बन गया।


6. बढ़ती आबादी-देश की बरबादी

आधुनिक भारत में जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। देश के विभाजन के समय यहाँ लगभग 42 करोड़ आबादी थी, परंतु आज यह एक अरब से अधिक है। हर वर्ष यहाँ एक आस्ट्रेलिया जुड़ रहा है। भारत के मामले में यह स्थिति अधिक भयावह है। यहाँ साधन सीमित हैं। जनसंख्या के कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। हर वर्ष लाखों पढ़े-लिखे लोग रोजगार की लाइन में बढ़ रहे हैं।

खाद्यान्नों के मामले में उत्पादन बढ़ने के बावजूद देश का एक बड़ा हिस्सा भूखा सोता है। स्वास्थ्य सेवाएँ बुरी तरह चरमरा गई हैं। यातायात के साधन भी बोझ ढो रहे हैं। कितनी ही ट्रेनें चलाई जाएँ या बसों की संख्या बढ़ाई जाए, हर जगह भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है। आवास की कमी हो गई है। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों ने फुटपाथों व खाली जगह पर कब्जे कर लिए हैं। आने वाले समय में यह स्थिति और बिगड़ेगी।

जनसंख्या बढ़ने से देश में अपराध भी बढ़ रहे हैं क्योंकि जीवन-निर्वाह में सफल न होने पर युवा अपराधियों के हाथों का खिलौना बन रहे हैं। देश के विकास के कितने ही दावे किए जाएँ, सच्चाई यह है कि आम लोगों का जीवन-स्तर बेहद गिरा हुआ है। आबादी को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। सरकार को भी सख्त कानून बनाने होंगे तथा आम व्यक्ति को भी इस दिशा में स्वयं पहल करनी होगी। यदि जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया गया तो हम कभी भी विकसित देशों की श्रेणी में नहीं खड़े हो पाएँगे।


7. आंखों-देखा जल-प्रलय

प्रकृति का सौंदर्य जितना मोहक होता है, उसका विनाशकारी रूप उतना ही भयावह होता है। प्रकृति जब कृद्ध होती है तो वह कई रूपों में बदला लेती है। इन्हीं में से एक है जल प्रलय। प्रकृति का यह रूप गतवर्ष जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ के रूप में देखने को मिला, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।

आकाश से गिरती वर्षा की जो बूंदें तन-मन को शीतलता पहुँचा रही थीं, और मौसम को सुहावना बना रही थीं, उन्हीं बूंदों ने जब वर्षा का रूप ले लिया और कई घंटे तक अपने अविरल रूप में बरसती रहीं तो मन में शंकाएँ पनपना स्वाभाविक था। देखते-ही-देखते वर्षा का पानी नालियों की सीमा लाँघकर सड़कों पर जमा होने लगा।

हरे-भरे मैदान पानी में डूबने लगे। देखते-ही-देखते पानी घरों और दुकानों में घुसने लगा। अब लोगों के चेहरे पर भय और चिंता की रेखाएँ स्पष्ट दिखने लगी थीं। वे अपना सामान बाँधने और सुरक्षित स्थान पर जाने की तैयारी करने लगे। इधर वर्षा रुकने का नाम नहीं ले रही थी। लोगों की कठिनाई कम होने का नाम नहीं ले रही थी। वे अपना सामान उठाए कमर भर पानी भरे रास्ते से सुरक्षित स्थान की ओर जाने लगे। बाढ़ अपना कहर ढाने पर तुली थी। लगता था इस जल-प्रलय में सब कुछ डूब जाएगा। हमारे होटल के कमरे की एक मंजिल पानी में डूब चुकी थी।

तीसरे दिन जब बरसात पूरी तरह रुकी तब लोगों की जान में जान आई। अब तक राहत एजेंसियों और सेना बचाव कार्य में जुट चुकी थीं। हेलीकॉप्टरों द्वारा भेाजन और अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएँ लोगों तक पहुँचाकर उनके घाव पर मरहम लगाने का कार्य किया जा रहा था। इस जल-प्रलय की छवि मेरे मनोमस्तिष्क पर अब भी अंकित है।


अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1: आलेख किसे कहते हैं?

उत्तर – समाचार-पत्रों, पत्र-पत्रिकाओं में संपादकीय पृष्ठ पर कुछ लेख छपे होते हैं जो समसामयिक घटनाओं पर आधारित होते हैं। उन्हें ही आलेख कहते हैं।

प्रश्न 2: आलेख किन-किन क्षेत्रों से संबंधित होते हैं?

उत्तर – आलेख खेल, समाज, राजनीति, अर्थजगत, व्यापार, खेल आदि क्षेत्रों से संबंधित हो सकते हैं।

प्रश्न 3: अच्छे आलेख के गुण/विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर – अच्छे आलेख में सूचनाओं का होना अनिवार्य होता है जिसमें नवीनता एवं ताजगी हो।

विचारों में स्पष्टता तथा भाषा में सरलता, बोधगम्यता तथा रोचकता होनी चाहिए।

प्रश्न 4: आलेख में किसकी प्रमुखता होती है?

उत्तर – आलेख में लेखक के विचारों की प्रमुखता होती है। इसी कारण इसे विचार-प्रधान गदय भी कहा जाता है।

प्रश्न 5: आलेख के मुख्य अंग कौन-कौन-से हैं?

उत्तर – आलेख के मुख्य अंग हैं-भूमिका, विषय का प्रतिपादन व निष्कर्ष।

प्रश्न 6: आलेख लिखते समय क्या-क्या तैयारियाँ आवश्यक होती हैं?

उत्तर – आलेख लिखते समय संबंधित विषय से जुड़े आँकड़ों व उदाहरणों का संग्रह करना आवश्यक होता है।

लेखन से पूर्व विषय का चिंतन-मनन करके विषयवस्तु का विश्लेषण करना भी आवश्यक होता है

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