12th Economics Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का सिद्धांत Notes in Hindi

12th Economics Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का सिद्धांत Notes in Hindi

Class : 12th
Subject : Economics (अर्थशास्त्र)
Book : Micro Economics (व्यष्टि अर्थशास्त्र)
Chapter : 4. पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का सिद्धांत 
Type : Notes 

बाजार - 

बाजार से अभिप्राय उस संयंत्र या वयवस्था से हैं जिसके द्वारा वस्तुओ और सेवाओ की बिक्री एवं खरीद के लिए क्रेताओं और विक्रेताओ के बीच का संपर्क सुविधाजनक हो जाता है । 

बाजार के रूप / प्रकार :

( i ) पूर्ण प्रतियोगिता 

( ii ) एकाधिकार 

( iii ) एकाधिकारी प्रतियोगिता 

( iv ) अल्पाधिकार 

पूर्ण प्रतियोगिता - 

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार का वह रूप होता हैं जिसमे किसी वस्तु के विक्रेताओ एवं क्रेताओं की अधिक संख्या होती है और किसी भी व्यक्तिगत क्रेता या विक्रेता पर इसकी कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता है | 

वस्तु समरूप होती है और उसकी कीमत बाजार पूर्ति तथा बाजार माँग की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है । 

पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताए :

( i ) किसी वस्तु के छोटे क्रेताओं और विक्रेताओ की बड़ी संख्या - 

( ii ) एक समान या समरूप वस्तु - 

( iii ) पूर्ण ज्ञान - 

( iv ) स्वतंत्र प्रवेश या छोड़ना - 

( v ) पूर्ण गतिशीलता - 

( vi ) अतिरिक्त यातायात लागत का अभाव - 

आगम (Revenue): 

 जब फर्म वस्तुओ और सेवाओं को बेचती हैं तो उन्हें आगम की प्राप्ति होती है।

➡️आगम तीन प्रकार के होते हैं - 

  1. कुल आगम (Total Revenue)
  2. औसत आगम (Average Revenue)
  3. सीमांत आगम (Marginal Revenue)

1. कुल आगम : 

 फर्म को वस्तुओ और सेवाओं से प्राप्त कुल राशि कुल आगम कहलाती है।

TR = P × Q

TR = AR × Q

TR = MR का योगफल

2. औसत आगम : 

प्रति इकाई आगम को औसत आगम कहते है। इसे कुल आगम को वस्तु की इकाई से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।

AR = TR / Q

3. सीमांत आगम : 

एक अतिरिक्त इकाई बेचने से प्राप्त आगम को सीमांत आगम कहते है।

MR = TRn - TRn - 1

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में फर्म या उद्योग को अल्पकाल में तीन स्थिति प्राप्त हो सकती है :

1. अति सामान्य लाभ :

जब AC वक्र AR वक्र से कम होता है तो फर्म को अति सामान्य लाभ होता है।

  • MC = MR
  • MC वक्र MR वक्र को 
  • नीचे से काटती हो।
  • AC < AR

2. सामान्य लाभ : 

जब फर्म का औसत लागत वक्र औसत आगम वक्र के बराबर रहता है तो फर्म को न लाभ और न हानि होता है, इसे सामान्य लाभ कहते हैं।

  • MC = MR
  • AR = AC
  • MC वक्र MR वक्र को 
  • नीचे से काटती हो।
  • E - फर्म संतुलन तथा 
  • सामान्य लाभ।

3. हानि : 

जब औसत लागत वक्र औसत आगम वक्र से अधिक होता है तो फर्म को हानि होता है।

  • MC = MR
  • AC > AR
  • MC वक्र MR वक्र को 
  • नीचे से काटती हो।

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में फर्म या उद्योग को दीर्घकाल में सामान्य लाभ होता है :

1.सामान्य लाभ :

  • MC = MR
  • AC = AR
  • MC वक्र MR वक्र को 
  • नीचे से काटती हो

पूर्ति (Supply) : 

किसी दिए गए कीमत पर वस्तुओ और सेवाओं को बेच देना पूर्ति कहलाता है।

      S = f(P)

अर्थात् पूर्ति कीमत पर निर्भर करता है।

पूर्ति का नियम : 

यदि अन्य बाते सामान्य रहे तो कीमत बढ़ने से पूर्ति में वृद्धि तथा कीमत घटने से पूर्ति में कमी होती है।

अर्थात् कीमत और पूर्ति में सीधा संबंध होता है।

पूर्ति की तालिका :

 वह तालिका जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों तथा वस्तु की विभिन्न मात्राओं के बीच सम्बंध प्रकट करती है | 

पूर्ति वक्र : 

पूर्ति वक्र पूर्ति की तालिका का रेखाचित्रीय प्रस्तुतिकरण है जो दर्शाती है की किसी वस्तु की बेची गई मात्रा उसकी अपनी कीमत से किस प्रकार सम्बंधित है |


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