12th Economics Chapter 3 उत्पादन तथा लागत Notes in Hindi

12th Economics Chapter 3 उत्पादन तथा लागत Notes in Hindi

Class : 12th
Subject : Economics (अर्थशास्त्र)
Book : Micro Economics (व्यष्टि अर्थशास्त्र)
Chapter : 3. उत्पादन तथा लागत
Type : Notes 

उत्पादन / उत्पाद : 

कच्चे माल को उपयोगी वस्तुओं में परिवर्तित करना उत्पादन कहलाता है।

➡️उत्पादन तीन प्रकार के होते है -

1. कुल उत्पाद (Total Product) - उत्पादन प्रक्रिया में प्रयोग हुए परिवर्ती कारक की प्रत्येक इकाई के उत्पादन का कुल जोड़ कुल उत्पाद कहलाता है । 

TP = AP × L

TP = MP का योगफल

2. सीमांत उत्पाद (Marginal Product)- उत्पादन प्रक्रिया में परिवर्ती कारक की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग कर प्राप्त अतरिक्त उत्पाद को सीमांत उत्पाद कहा जाता है | 

MP = Tn- Tn - 1 MP

3. औसत उत्पाद (Average Product) - उत्पादन प्रक्रिया में परिवर्ती कारक की प्रत्येक इकाई का प्रयोग कर प्राप्त प्रति इकाई उत्पादन को औसत उत्पाद कहा जाता है।

AP = TP / L

नोट : उत्पादन वक्र का आकार उल्टा

 'U' आकार का होता है।

उत्पादन फलन - 

एक फर्म के भौतिक उत्पादन और उत्पादन के भौतिक कारको के बीच संबंध को उत्पादन फलन कहते है ।

   Qx = f ( L,l , K ,E,O ) 

Qx = वस्तु X का उत्पादन | 

L = श्रम की मात्रा | 

l = भूमि

K = पूँजी की मात्रा | 

E = उद्यमी

O = संगठन

   यह फलन दर्शाता है की वस्तु X का उत्पादन श्रम ( L ) तथा पूँजी ( K ) पर निर्भर करता है । 

➡️ उत्पादन के कारक दो प्रकार के होते हैं :

1. स्थिर कारक - स्थिर कारक वे कारक होते है जो उत्पादन परिवर्तन के साथ परिवर्तित नहीं होते है | उत्पादन के शून्य होने पर भी ये होते है | 

जैसे - भूमि , मशीन आदि।

2. परिवर्ती कारक - परिवर्ती कारक वे कारक होते है जो उत्पादन में परिवर्तन के साथ परिवर्तित होते है | उत्पादन के शून्य होने पर ये भी शून्य होते है । 

जैसे - श्रमिक , कच्चा माल।

उत्पादन फलन के प्रकार : 

1. अल्पकालीन उत्पादन फलन - 

  • अल्पकालीन उत्पादन फलन में स्थिर कारक स्थिर होते है तथा उत्पादन को केवल परिवर्ती कारक में वृद्धि करके ही शब्दों में , अल्पकालीन उत्पादन बढाया जा सकता है | 
  • दुसरे शब्दो में अल्पकाल में किये गए उत्पादन और कारको के बीच फल्नात्मक सम्बन्ध दिखता है , जहा एक कारक स्थिर तथा दूसरा परिवर्ती होता है | 

➡️अल्पकालीन उत्पादन फलन में परिवर्ती अनुपात का नियम लागु होता है 

Qx = f ( L , K )

    Qx वस्तु X का उत्पादन | 

   L = श्रम की मात्रा । 

   K = पूँजी की मात्रा |

2. दीर्घकालीन उत्पादन फलन-

  • दीर्घकालीन उत्पादन फलन में उत्पादन को परिवर्ती कारक तथा स्थिर कारक में वृद्धि कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है । 
  • दुसरे शब्दों में , दीर्घकालीन उत्पादन फलन दीर्घकाल में किये गए उत्पादन और उसके कारको के बीच फल्नात्मक सम्बन्ध दिखता है , जहा दोनों ही कारक परिवर्ती होते है । 

➡️ दीर्घकालीन उत्पादन फलन में पैमाने के प्रतिफल का नियम लागू होता है | 

Qx = f ( L , K ) 

   Qx = वस्तु X का उत्पादन |

   L = श्रम की मात्रा |

   K = पूँजी की मात्रा । 

परिवर्ती अनुपात का नियम - 

परिवर्ती अनुपात का नियम के अनुसार जैसे - जैसे स्थिर कारको के साथ परिवर्ती कारको की अधिक से अधिक इकाइयों को प्रयोग में लाया जाता है , आरंभ में परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पाद बढ़ता है परन्तु एक स्थति ऐसी अवश्य आती है जब परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पाद गिरना शुरू हो जाता है अथवा शून्य या ऋणात्मक हो सकता है |

कुल उत्पाद ( TP ) तथा सीमांत उत्पाद ( MP ) में सम्बन्ध :

( i ) आरंभ में सीमांत उत्पाद ( MP ) बढ़ रहा होता है इसलिए कुल उत्पाद ( TP ) बढती दर पर बढ़ता है | 

( ii ) जब सीमांत उत्पाद ( MP ) घट रहा होता है तब कुल उत्पाद ( TP ) घटती दर पर बढ़ता है | 

( iii ) जब सीमांत उत्पाद ( MP ) शून्य होता है तब कुल उत्पाद ( TP ) अधिकतम होता है । 

( iv ) जैसे ही सीमांत उत्पाद ( MP ) ऋणात्मक होता है कुल उत्पाद ( TP ) गिरना आरंभ कर देता है । 

औसत उत्पाद ( AP ) तथा सीमांत उत्पाद ( MP ) के बीच सम्बंध:  

( i ) जब सीमांत उत्पाद ( MP ) बड़ा होता है औसत उत्पाद ( AP ) से तब औसत उत्पाद ( AP ) बढ़ता है | 

( ii ) जब सीमांत उत्पाद ( MP ) छोटा होता है औसत उत्पाद ( AP ) से तब औसत उत्पाद ( AP ) घटता है | 

( iii ) जब सीमांत उत्पाद ( MP ) और औसत उत्पाद ( AP ) दोनों बराबर होते है तब औसत उत्पाद ( AP ) अपने उच्चतम बिंदु पर होता है । 

( iv ) सीमांत उत्पाद ( MP ) शून्य और ऋणात्मक हो सकता है पर औसत उत्पाद ( AP ) कभी शून्य और ऋणात्मक नहीं हो सकता है | 

लागत :

 उत्पादन के साधनों पर किया गया खर्च लागत कहलाता है।

उत्पादन के साधन - भूमि, श्रम, पूंजी, उद्यमी, साहसी, संगठन आदि।

➡️लागत तीन प्रकार के होते हैं -

  1. कुल लागत (Total Cost)
    1. कुल स्थिर लागत (Total Fixed Cost)
    2. कुल परिवर्तनशील लागत (Total Variable Cost)
  2. औसत लागत (Average Cost)
  3. सीमांत लागत (Marginal Cost)

1. कुल लागत (Total Cost): 

      उत्पादन के साधनों पर किया गया कुल खर्च कुल लागत कहलाता है।

TC = TFC + TVC

TC = AC × Q

TC = MC का योगफल

➡️कुल लागत दो प्रकार के होते है - 

(a). कुल स्थिर लागत (Total Fixed Cost):

स्थिर लागतो पर किया गया कुल खर्च।

       TC = TFC + TVC

       TFC = TC - TVC

TFC = AFC × Q

(b). कुल परिवर्तनशील लागत (Total Variable Cost):

परिवर्तनशील साधनों पर किया गया कुल खर्च।

TC = TFC + TVC

TVC = TC - TFC

TVC = AVC × Q

2. औसत लागत (Average Cost): प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहते है।

 इसे कुल लागत को उत्पादन की इकाई से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।

(a).औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost): इसे कुल स्थिर लागत को उत्पादन की इकाई से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।

AFC = TFC / Q

(b).औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost) : इसे कुल परिवर्तनशील लागत को उत्पादन की इकाई से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।

AVC = TVC / Q

3. सीमांत लागत ( Marginal Cost) : एक अतिरिक्त इकाई उत्पादन की किया गया खर्च सीमांत लागत कहलाता है।

MC = TCn - TCn-1

नोट : लागत का वक्र 'U' आकार के होते है।

औसत लागत तथा सीमांत लागत में संबंध :

  • सीमांत लागत गिरते हुए अपने न्यूनतम स्तर पर होता है तथा औसत लागत भी गिरता है परंतु सीमांत लागत से ऊपर होता है।
  • सीमांत लागत ऊपर की और उठने लगता है और औसत लागत को अपने न्यूनतम बिंदु पर काटते हुए जाता है तथा औसत लागत इस अवस्था में न्यूनतम स्तर पर होकर स्थिर हो जाता है इसी अवस्था में सीमांत लागत और औसत लागत आपस में बराबर होते हैं।
  • सीमांत लागत और औसत लागत दोनों ऊपर बढ़ते हैं लेकिन सीमांत लागत की बढ़ने की गति औसत लागत की अपेक्षा अधिक होता है।


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